नई ‌‌‌‌‌‌इबारत

बुधवार, 14 नवंबर 2018

बैरसिया में ब्रह्मा, विष्णु और हरि के बीच होगा मुकाबला

ब्रह्मानंद रत्नाकर के नाम वापसी के सारे प्रयास विफल भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की बैरसिया विधानसभा सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। 'विष्णुÓ के सामने 'ब्रह्माÓ की ललकार होगी। वहीं कांग्रेस से जयश्री 'हरिÓकरण सीधे मुकाबले में उतर चुकी है जिससे मुकाबला रोमांचक हो गया है। भाजपा के विष्णु खत्री बैरसिया से मौजूदा विधायक हैं। उनके सामने होंगे भाजपा के बागी ब्रह्मानंद रत्नाकर जो निर्दलीय खड़े हैं। आज नाम वापसी का आखिरी दिन था और ब्रह्मानंद ने नामांकन वापस नहीं लिया है। पार्टी कार्यालय पर किया था प्रदर्शन ब्रह्मानंद रत्नाकर ने टिकट की दावेदारी के साथ ही सड़क से लेकर भाजपा कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया था, जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सक्रियता से टिकट की मांग की थी। वहीं भाजपा ने इस बार फिर विष्णु खत्री को रिपी
ट किया है। वो 2013 में बैरसिया से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन टिकट की आस ब्रह्मानंद रत्नाकर को थी। जब टिकट नहीं मिला तो बागी तेवर दिखाते हुए उन्होंने निर्दलीय ही नामांकन दाखिल कर दिया। साल 2008 में ब्रह्मानंद रत्नाकर ने कांग्रेस के हीरालाल को इसी सीट पर 23 हजार वोट से हराया था। बैरसिया को भाजपा का किला माना जाता है। कांग्रेस महज दो बार इस सीट पर काबिज हो पाई है। साल 1957 और 1998 में। ब्रह्मा को मनाने सांसद संजर, जिपंअ नागर जुटे रहे बैरसिया विधानसभा से भाजपा के बागी प्रत्याशी ब्रह्मानंद रत्नाकर को मनाने के लिए सांसद आलोक संजर और जिला पंचायत अध्यक्ष मनमोहन नागर बैरसिया में सक्रिय रहे परंतु ब्रह्मानंद रत्नाकर से दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हो पाई। जबकि ब्रह्मानंद रत्नाकर सक्रिय रूप से जनसंपर्क करते रहे।

बुधवार, 22 अगस्त 2018

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का अस्थिकलश ईटखेड़ी से होगा रवाना

पुष्पांजलि अर्पित कर पार्वती नदी में होगा विसर्जन भोपाल। प्रदेश की जीवनदायनी नदी पार्वती नदी में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश विसर्जित करने गुरुवार प्रात: 10 बजे राजधानी के ईंटखेड़ी ग्राम पंचायत से यात्रा निकलेगी। अस्थिविसर्जन यात्रा में क्षेत्रीय विधायक विष्णु खत्री, मंत्री रामपाल सिंह, प्रदेश महामंत्री एवं सांसद मनोहर उंटवाल, प्रदेश मंत्री पंकज जोशी शामिल होंगे। अस्थि कलश के दर्शन एवं श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक-धार्मिक जन उपस्थित रहेंगे। उक्त जानकारी देते हुए भाजपा मंडल अध्यक्ष तीरथ सिंह मीणा, भूपत मीणा ने देते हुए बताया कि युग पुरुष भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश पर श्रद्धा के फूल अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि देंगे। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के भाजपा-कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सभी नागरिक भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यात्रा ईंटखेड़ी से ग्राम पंचायत गोलखेड़ी, निपानिया, रतूआ, हर्राखेड़ा होते हुए बैरसिया पहुंचेगी। जहां से ग्राम पंचायत रूनाहा होते हुए पार्वती नदी पहुंचेगी। जहां विधि-विधान के साथ अस्थिकलश का विसर्जन किया जाएगा।

2 साल बाद विधायक खत्री को आई किसानों की याद

भूमिपूजन के बाद भी नहीं बना विद्युत सब स्टेशन, डीएम को लिखा पत्र रमेश चंद्र जोशी बैरसिया विधायक विष्णु खत्री द्वारा 2 वर्ष पूर्व धूमधाम से 33/11 केवी विद्युत सब स्टेशन का उद्घाटन कर क्षेत्र के किसानों को 24 घंटे की विद्युत उपलब्धता के सपने दिखाए थे। इन्हीं सपनों को लेकर जी रहे किसानों ने बार-बार विद्युत कम्पनी और अपने क्षेत्रीय विधायक विष्णु खत्री के पास बार-बार आवेदन दिया पर क्षेत्र के किसान थक हार कर खामोश हो गए। जब क्षेत्रीय लोगों को कहीं से कोई आशा की किरण नजर नहीं आई तो उन्होंने आंदोलन करने की रणनीति बनाई। उल्लेखनीय है कि बैरसिया क्षेत्र से विधायक चुने गए विधायक विष्णु खत्री ने चुनाव जीतने के बाद विभिन्न कार्ययोजनाओं के भूमिपूजन किए गए थे, परंतु कई योजनाएं जमीनी स्तर से गायब हो गईं। वहीं कई घोषणाएं तो आज तक अमल में नहीं आई हैं। ऐसा ही हुआ क्षेत्र के चंदेरी गांव में जहां 33/11 केवी विद्युत सब स्टेशन का उद्घाटन तो कर दिया पर आज दिन तक उस स्थान पर कोई कार्य ही शुरू नहीं हुआ। विकास यात्रा के दौरान आई भूमिपूजन की याद उल्लेखनीय है कि विधायक विष्णु खत्री बैरसिया क्षेत्र में अपनी विकास यात्रा के साथ गांव-गांव भ्रमण कर रहे हैं। इस बीच उनका चंदेरी, राताताल, परवलिया, गुनगा, हिनोती आदि ग्रामों में जाने का प्रोग्राम है। इसी बीच उन्होंने विद्युत मंडल के डीएम को चंदेरी गांव में 33/11 केवी सब स्टेशन का कार्य प्रारंभ कर क्षेत्रिय काश्तकारों को इसका लाभ मिल सके। इस संबंध में मुलाकात कर पत्र प्रेषित किया है। जबकि क्षेत्र की जनता सब स्टेशन नहीं लगने से नाराज है। लाम्बाखेड़ा हाईस्कूल बनाने की घोषणा पर अमल विधायक विष्णु खत्री ने क्षेत्र के लाम्बाखेड़ा माध्यमिक स्कूल के एक कार्यक्रम में शिक्षा सत्र 2016 में हाईस्कूल बनाने की घोषणा की थी। क्षेत्र के लोग लगातार इस बाबद् मांग करते रहे। जबकि आसपास में पढऩे वाले छात्र एवं छात्राओं को 8वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद या तो स्कूल छोड़ देने पड़ता है या फिर करोंद या डीआईजी स्थित स्कूल में प्रवेश लेना को मजबूर होना पड़ता है। इनका कहना है क्षेत्र की जनता लगातार विधायक, ऊर्जा मंत्री और विद्युत वितरण कंपनी के चक्कर खा चुकी है। साथ ही आसपास के क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली आ रही है। जबकि इस क्षेत्र में प्राथमिकता से सब स्टेशन बनना था, जिसकी मांग क्षेत्रवासी वर्षों से कर रहे हैं। ऐसे में यदि सब स्टेशन नहीं बन पाया तो क्षेत्र की जनता उग्र आंदोलन करने की रणनीति बना रही है। गोलू यादव सरपंच, ग्राम पंचायत चंदेरी

रविवार, 3 जून 2018

एक कार्यक्रम में मिले टास्क ने गायक बना दिया: मेहर

रमेश चंद्र जोशी यूं तो गेट टू गेदर कार्यक्रम में ऑफिसर हमेशा कोई ना कोई गतिविधियां किया करते हैं, जबलपुर में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए एक कार्यक्रम में जाना हुआ था जहां मुझे मिले टास्क गायन ने मेरा जीवन ही बदल दिया, कार्यक्रम में संगीत के साथ-साथ मनोरंजक के कार्यक्रम का आयोजन था, जिसमें एक दूसरे को टास्क देकर उस पर मनोरंजन करना था, उसमें मिले टास्क मैं गायन का टास्क दिया गया जिस पर मैं झिझकते हुए मंच पर पहुंचा और अपनी पसंद का गीत जो मुझे उस समय कुछ याद था- ओह रे ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में, सागर मिले कौन से जल में कोई जाने ना .... पेश किया तो उपस्थित सभी अधिकारियों और अधीनस्थ कर्मचारी वाह-वाह कर उठे, जिससे मैं रोमांचित हो गया। सभी ने मुझे एक गायक के रूप में अपनी प्रतिभा को निखारने की सलाह दी। वहां उपस्थित हारमोनियम वादक मित्र से मैंने बाकायदा हारमोनियम सीखा और धीरे-धीरे मेरी गायकी कार्यक्रमों की जान बन गई। अब यह स्थिति है की कार्यक्रम के इनविटेशन बाद में छपते हैं लोग मुझे पहले आमंत्रित कर लेते हैं। यह कहना है अपर आयुक्त हाउसिंग बोर्ड संतोष कुमार मेहर का जिन्होंने अपनी कार्यकुशलता के साथ-साथ गायकी से अपने ऑफिसर्स और अधीनस्थ कर्मचारियों का दिल जीत लिया है। ऐसे ही व्यस्त समय के दौरान उनसे बातचीत करने का मौका मिला, तब उन्होंने काम के बीच में ही अपना वार्तालाप शुरू कर दिया और मुस्तैदी से कार्य निपटाते रहे। इस बीच उनकी बातों का मैं भी कायल हो गया, बात-बात में हंसी मजाक के साथ जब भी वक्त मिलता वह कोई ना कोई गीत गुनगुना लेते। उनके इस कार्य के बीच चाहे जितनी बड़ी फाइल आ जाए या किसी मुद्दे पर बातचीत हो वे निर्भीक होकर करने लगते और फिर बातचीत में लग जाते। इस बीच जब भी उन्हें समय मिलता वे कुछ गुनगुना देते या ऐसा हास्य का वाक्य छेड़ देते जिससे उपस्थित जन ठहाके लगाने से अपने आपको नहीं रोक पाते। यूं तो काम के बोझ से या मानसिक थकावट से लोगों को व्याकुल होते हुए देखा है, लेकिन अपने काम को एंजॉय करते हुए बहुत कम अधिकारियों को देखा है, ऐसे ही अधिकारी हैं अपर आयुक्त एसके मेहर जिन्होंने अपने काम के बल पर कई कार्यों में अपने विभाग के साथ साथ जनता और अधिकारियों के साथ राजनेताओं को भी खुश कर दिया है। उन्होंने विभागीय एवं व्यक्तिगत श्रेणी में कई अवॉर्ड जीते हैं और जो कार्य भी हाथ में लेते हैं, उन्हें समय सीमा में ही पूरा कर देते हैं। गायकी की विधा में पारंगण हो चुके अपर आयुक्त एसके मेहर ने अपने घर में एक स्टूडियो का भी निर्माण कर लिया है, जिसमें वह गायन और वादन के साथ-साथ अपना अभ्यास निरंतर करते रहते हैं। उन्होंने अपनी एक आर्केस्ट्रा टीम भी बना ली है जिसमें हाउसिंग बोर्ड की महिला कर्मचारी और दो युवतियां एवं युवक शामिल हैं, वे बखूबी पारिवारिक एवं निजी कार्यक्रमों में प्रस्तुति देते रहते हैं। साइकिल चलाने का भी रखते हैं शौक अपर आयुक्त एसके मेहर को साईकिल चलाने का भी शौक है, जब भी समय मिलता है वे सायकल चलाने निकल पढ़ते हैं। कम से कम 10 से 20 किलोमीटर तक साइकिल से घूमते-फिरते रहते हैं। उन्हें जब भी अवकाश मिलता है या समय मिलता है वे साइकल लेकर निकल पड़ते हैं। घूमने फिरने के शौकीन अपर आयुक्त एसके मेहर ने कार से करीब-करीब पूरा भारत घूम लिया है। पिता से मिला अनुशासित जीवन पिता से मिले अनुशासित जीवनच की वजह से उन्होंने अपनी प्रतिभा स्कूल कॉलेज में पढ़ाई में दिखाई। उसी अनुशासित जीवन कला का ही परिणाम है कि व्यस्त दिनचर्या के चलते अपने हुनर और शौक में रमे रहते हैं। अपने अंदर छिपी प्रतिभा जीवन काल के 35 साल बाद सामने आई और उसे अपना शौक बनाकर अब अपनी कला को प्रदर्शित करने से नहीं चुकते। जिससे सहयोगी और अधिकारी खुश कार्यक्रमों में खुश तो होते ही हैं वहीं लोग उन्हें महफिल की जान कहकर बुलाने लगे हैं। उनके जेहन में हर वक्त और हर एक के लिए एक गीत है जो हमेशा जुबान पर रहता है- राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है, दुख तो अपना साथी है।

मंगलवार, 29 मई 2018

भीषण गर्मी में आंखों को तृप्ति, मन को शांति और प्रदेशवासियों को जीवन अमृत जल दे रही मां नर्मदा

रमेश चंद्र जोशी जैसा की पद्म पुराण में नर्मदा को गंगा आदि पवित्र नदियों से श्रेष्ठ बताते हुए कहा गया है - पुण्या कनखले गंगा, कुरुक्षेत्रे सरस्वती, ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।। अर्थात् गंगा को कनखल नामक तीर्थ में विशेष पुण्यदायी माना जाता है और सरस्वती को कुरुक्षेत्र में, किन्तु नर्मदा चाहे कोई ग्राम हो या फिर जंगल सर्वत्र ही विशेष पुण्य देने वाली है। ऐसी मां नर्मदा नदी जब भीषण गर्मी में अपनी अविरल धारा से जबकि देश और प्रदेश की कई नदियां सूख चुकी हैं ऐशे मौसम में प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा का अविरल प्रवाह आंखो को तृप्ति और मन को शांति प्रदान करता है। जब भीषण गर्मी के इस दौरे में नर्मदा के प्रवाह के विभिन्न स्थानों पर मां नर्मदा के चित्रों को एकत्रित किया गया तो बरबस ही मन में मची वह भ्रांतियां दूर हो गई कि कहीं गर्मी की तपिश और लोगों द्वारा उठाई जा रही विभिन्न किवंदतिया की अपने दायित्व निर्वाह में कोई कमी तो नहीं हो रही है, तब 14 मई को विभिन्न स्थानों पर एक साथ लिये गये कुछ फोटो राज एक्सप्रेस ने अपने पाठकों के लिए संग्रहित किये, वे फोटो इसके साक्षी हैं कि नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनरेखा के दायित्व का निर्वाह अबाध रूप से कर रही है। नर्मदा नदी पर बने रानी अवंती बाई लोधी सागर, इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर जैसे बड़े बांधो में इस भीषण गर्मी के समय के लिये संग्रहित जल ही नर्मदा के इस अविरल प्रवाह का मुख्य स्त्रोत हैं। नर्मदा जल संकट के समय में भी सिंचाई और पेयजल का विश्वसनीय आधार बनी हुई है। इसके साथ ही नर्मदा अपने आस-पास बसे ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं और असंख्य वन्य प्राणियों के जीवन को सुरक्षा प्रदान कर रही है। जल संकट के समय नर्मदा का यह अविरल प्रवाह बड़े बांधो की आवश्यकता का स्वयं सिद्ध प्रमाण है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अनूपपूर जिले में मेकल पर्वतमाला में बसा अमरकण्टक नर्मदा का उद्गम है। यहां से निकलकर गुजरात राज्य में खम्बात की खाड़ी से अरब सागर में समाहित होने तक नर्मदा 1312 कि.मी. में प्रवाहित होती है। अपने उद्गम के बाद नर्मदा प्रदेश के अनूपपूर, डिण्डोरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा, खरगोन और बड़वानी जिलों से बहती हुई मध्यप्रदेश में कुल 1077 कि.मी. की दूरी तय करती है। नर्मदा का कुल कछार क्षेत्र 98 हजार 796 वर्ग कि.मी. है। इस कछार का 85 हजार 859 वर्ग कि.मी. क्षेत्र मध्यप्रदेश में है जो कुल कछार क्षेत्र का 87 प्रतिशत है। नर्मदा की सैकडों सहायक नदियां हैं लेकिन जिन सहायक नदियों का जलग्रहण क्षेत्र 500 वर्ग कि.मी. से अधिक है ऐसी 39 सहायक नदियां नर्मदा में मध्यप्रदेश की सीमा के अन्दर मिलती है और लोगों की जीवनदायिनी का दायित्व बखूबी निभा रही है। नर्मदा नदी का पानी देखने भर से कर देता है पवित्र प्रचलित मान्यता यह है कि यमुना का पानी सात दिनों में, गंगा का पानी छूने से, पर नर्मदा का पानी तो देखने भर से पवित्र कर देता है। साथ ही जितने मंदिर व तीर्थ स्थान नर्मदा किनारे हैं उतने भारत में किसी दूसरी नदी के किनारे नहीं है। लोगों का मानना है कि नर्मदा की करीब ढाई हजार किलोमीटर की समूची परिक्रमा करने से चारों धाम की तीर्थयात्रा का फल मिल जाता है। नर्मदा नदी की परिक्रमा लोगों की परंपराओं और धार्मिक विश्वासों में रची-बसी हुई है। शासन ने चलाई विभिन्न योजनाएं शासन-प्रशासन ने चलाई विभिन्न योजनाएं 1. पौधारोपण के माध्यम से भूमि के कटाव रोकने का प्रयास। 2. पौधारोपण के माध्यम से उर्वरा शक्ति बढ़ाने की कोशिश। 3. नदी के किनारे बसे ग्रामों को निस्तारी बांस व जलाऊ लकड़ी उपलब्ध हो। 4. पशु चारे की आपूर्ति व नदी के तटीय क्षेत्रों का सौन्दर्यीकरण। 5. भू-क्षरण में कमी व बांध से मिलने वाले लाभ में वृद्धि। 6. वन विभाग द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन जनसहयोग व वन समिति के माध्यम से किया जाना है। जीवित व्यक्ति के रूप में नर्मदा नदी को मिला अधिकार प्रदेश के लिए जीवनदायिनी मां नर्मदा को प्रदेश सरकार ने गंगा नदी की तरह जीवित व्यक्ति के रूप में सभी अधिकार देने का दर्जा दिया गया है। प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नर्मदा सेवा यात्रा के समय यह दर्जा प्राप्त करने वाली प्रदेश की पहली और देश की दूसरी नदी को जीवित व्यक्ति के अधिकार प्रदान किये गये हैं।
भोपाल-बैरसिया मार्ग के आसपास बसी कॉलोनियों में नहीं हुआ ड्रेनेज-सीवेज का काम रोजमर्रा की जरूरत के लिए लांबाखेड़ा-नबीबाग के लोग हो रहे परेशान फोटो... सहित भोपाल। भोपाल-बैरसिया-सिरोंज मार्ग का अंतिम दौर का कार्य पूर्ण होने के है, जिसके कारण मार्ग के आसपास बसे लोग ड्रेनेज-सीवेज की समस्या से परेशान हो गये हैं। सडक़ मार्ग निर्माण के कारण जो नाला था उसमें सीमेंट कांक्रीट का मलबा भर जाने से ड्रेनेज-सीवेज का पानी का निकास रूक गया है। बार-बार इस बाबद सूचना देने के बावजूद जिम्मेदार नगर निगम अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस मामले में शिकायत क्रमांक 5402963 और 5329783 की गई हैं पर इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि लम्बे समय से मार्ग न बनने से जूझ रहे बैरसिया वासी जहां मार्ग का काम लगभग पूरा होने से राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं भीषण गर्मी के दौर में ड्रेनेज और सीवेज का पानी निकास ना होने के कारण परेशान हो रहे हैं। गत वर्ष कॉलोनी के कई घरों में बारीश का पानी भर गया था, जिस पर भी जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में लांबाखेड़ा की कॉलोनी शारदा नगर में पानी कमर से ऊपर भर गया था जिसके बाद कॉलोनी में नाव चलाई गई थी और क्षेत्रीय पार्षद एवं समाजसेवी लोगों ने सामूहिक भोजन के पैकेट बनवाकर रहवासियों के भोजन की व्यवस्था की थी। यदि यही स्थिति रही तो क्षेत्रवासियों के घरों में ड्रेनेज-सीवेज के साथ-साथ बारीश का पानी घरों में भर जाएगा, और लांबाखेड़ावासियों को कॉलोनी और बैरसिया मार्ग से संपर्क टूट जाएगा। पूराने मकानों की 1 मंजिला भवन हुआ जमींदोज भोपाल-बैरसिया मार्ग बनने से पूर्व जो मकान बने हैं उन मकानों के एक मंजिला भवन करीब-करीब डूब क्षेत्र में पहुंच चुके हैं। कॉलोनी की सीवेज को जोडऩे वाले नाले पर अतिक्रमण और मलवा भर जाने से नाला लगभग बंद हो चुका है। इस पर अतिक्रमणकारियों ने निर्माण कर लिया है, जिससे सफाई कार्य नहीं हो पा रहा है। सडक़ मार्ग के दोनों और बारीश का पानी निकालने के लिए जो समानांतर पानी बहने के लिए सीमेंट कांक्रीट की लाइन डाली गई है वह बहुत ऊंचाई पर है, जिससे पुराना नाला पूरी तरह से बंद हो चुका है। हो सकती है साल 2006 से भी ज्यादा भयावह स्थिति सीवेज-ड्रेनेज लाइन न बनने से आगामी बारिश के सीजन में ड्रेनेज-सीवेज और बारिश के पानी का निकास नहीं होने से साल 2006 में हुई बारिश की त्रासदी से भी ज्यादा भयावह छिटपूट बरसात में ही हो जाएगी। जिसके भय से क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश है।