नई ‌‌‌‌‌‌इबारत

गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

लड़का हीरा है हीरा

अब क्या बताएं!!
वैसे लड़का हीरा है हीरा !
कमाने का क्या है अब आदमी जुए में रोज़ रोज़ तो जीत नहीं सकता है, कभी हांर भी जाता है
लेकीन लड़के की कीसमत बहुत अच्छी है
कभी कुछ बुरा नहीं कहता है
हाँ...
लेकीन दारू ऐसी चीज़ है की 1 बार अन्दर गयी तो फीर अच्छे बुरे का कहाँ धयान रहता है
वैसे ये ज्यादा दारू भी नहीं पीता लेकीन जब भी वो नाचने वाली के पास जाता है तो पता नहीं इसे क्या हो जाता है...पीता ही चला जाता है, कनट्रोल ही नहीं कर पाता है!
मैं तो कहत हूँ की रीशते के लीए इससे अच्छा लड़का मिळना मुश्कील है
हाँ बस घर का ठीकाना नही है
उसका क्या है आज नहीं तो कल वो भी हो जायेगा लेकीन लड़का हीरा है हीरा

मंगलवार, 24 नवंबर 2009

कपूर गौरम करूणावतारम

कविता कोश, एक मुक्त ज्ञानकोष से
यहां जाईयें: ख़ोज

कपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम
सदा वसंतम हृदयारविंदे
भवम भवानी सहितं नमामि


मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वजः |
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि ||


सर्व मंगल मांग्लयै
शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते ||


त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव


कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||


श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
गोविन्द दामोदर माधवेती ||

गुरुवार, 19 नवंबर 2009

निर्विरोध चुने गए अध्यक्ष भंवरसिंह शेखावत

गांव, गरीब और किसान की सेवा हमारा लक्ष्य

निर्विरोध चुने गए अध्यक्ष भंवरसिंह शेखावत का स्वागतगरीब और ल ाु सीमांत किसानों तक सहकारी बैंक पहुंचे और उनके आर्थिक कल्या ा का मा यम बने यह हमरा लक्ष्य होगा। म यप्रदेश रा य सहकारी अपे स बैंक के पहले गैर कांग्रेसी एवं पहले भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भंवरसिंह शेखावत ने निर्विरोध अ यक्ष निर्वाचित होने के बाद यह बात अपने पहले उद्बोधन में कही।पचास साल के बाद भाजपा का अपे स बैंक में परचम लहराते हुए भंवरसिंह शेखावत ने अपने नवनिर्वाचित संचालक मंडल तथा नवनिर्वाचित उपा यक्ष कैलाश सोनी एवं ाीमती सरिता सिंह के साथ स्वागत समारोह एवं प ाकारों से चर्चा करते हुए कहा कि जब से भाजपा के सहकारी कार्यकर्ताओं के हाथ में सहकारी संस्थाओं की कमान आई है तब से उनके हालात बदले हैं और वर्षों से ााटे में चल रही बैंक न केवल ााटे से उबरी हैं बल्कि अब वे फायदे में चल रही हैं। उ होंने कहा कि नेतृ व बदला है लोगों की मानसिकता बदली है इसलिए परि ााम भी सकारा मक आए हैं। उ होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि सहकारी बैंकों को नए दौर में नया कलेवर, नई संभावनाओं के साथ नए क्षे ा में उतारा जाए। यह इसलिए जरूरी है ताकि जिस गांव, गरीब और किसान की सेवा में सहकारी बैंक लगा है उसे हम बेहतर से बेहतर सेवा दे सकें उनकी प्रगति में सहायक बन सके। ाी शेखावत ने कहा कि सहकारी आंदोलन को सुदृढ़ बनाने में मु यमं ाी शिवराजसिंह चौहान ने जिस दृढ़ इच्छाशक्ति से काम किया है उससे हम सभी सहकरी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। उ होंने कहा कि पूर्ववर्ती गैर भाजपा सरकारों ने सहकरी क्षे ा को उसके उद्देश्यों के विपरीत शोष ा का अड्डा बना रखा था। सोलह-स ाह प्रतिशत याज दर पर उ हें ऋ ा दे रहे थे। कर्ज के बोझ से हमारे किसानों की कमर टूट गई। इससे खेती किसानी उनके लिए एक ााटे की खाई बन गई थी। शिवराजसिंह चौहान ने खेती को लाभ का धंधा बनाने का संकल्प व्यक्त करते हुए पहले याज दर को सात प्रतिशत किया, फिर पांच प्रतिशत अब उ होंने 3 प्रतिशत याज दर पर किसानों को ऋ ा देने का र्नि ाय लिया और इससे प्रदेश के किसानों को राहत मिली है। उनका बोझ कम हुआ है और अब आने वाले दिनों में उनके लिए कृषि फायदे का व्यवसाय बनेगा।पचास साल बाद अपे स बैंक में गैर कांग्रेसी पहले भाजपा के निर्वाचित अ यक्ष
भंवरसिंह शेखावत बाइसवें अ यक्ष के रूप में निर्विरोध चुने गएपूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत 1958 याने पचास साल के बाद पहले गैर कांग्रेसी होंगे जो सहकारिता की शीर्ष संस्था अपे स बैंक के विधिवत निर्वाचित अ यक्ष चुने गए हैं। आज सुबह संचालक मंडल के पंद्रह सदस्यों ने ाी शेखावत को निर्विरोध अ यक्ष चुना।म यप्रदेश के सहकारिता के क्षे ा में आज का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक है योंकि 23 फरवरी 1958 के बाद पहली बार सहकारिता की शीर्ष संस्था अपे स बैंक के अ यक्ष पद पर भंवरसिंह शेखावत गैर कांग्रेसी अ यक्ष होंगे, जिनका निर्वाचन लोकतां िाक तरीके से हुए है। 1958 में के.पी. पांडे अपे स बैंक के पहले अ यक्ष बने थे। उसके बाद 1972 में एल.पी. भार्गव अ यक्ष बने। ये सभी कांग्रेस से संबंद्ध रहे हैं। 1977 में जब प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो डॉ. एम.पी. स सेना को बैंक का ओ.आई.सी. बनाया गया। एक माह बाद ही सुंदरलाल पटवा को अपे स बैंक का अ यक्ष मनोनीत किया गया। इसके चार दिन बाद ही कानूनी पेंचदिगियों के चलते डॉ. एम.पी. स सेना पुन: ओआईसी एवं चेयरमेन मनोनीत हो गए। 28 अ टूबर 1980 को भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रदीप बैजल अ यक्ष बनाए गए। 31 दिसंबर 1980 को सुभाष यादव अपे स बैंक को अ यक्ष बने जो 1990 तक रहे। एक अगस्त 1990 को सुभाष यादव को त कालीन सरकार ने अनियमितताओं के चलते हटाकर पुन: भारतीय प्रशासनिक सेवा के शिवराज सिंह को अपे स बैंक का ओआईसी बना दिया। नवंबर 1990 में डॉ. एम.पी. स सेना, दिसंबर 1992 में आईएएस जे.एल. अजमानी, मई 1993 में आईएएस ए.के. सिंह, बैंक के ओआईसी सह अ यक्ष बने। जून 1993 में पुन: सुभाष यादव अपे स बैंक के अ यक्ष रहे जो 1996 तक रहे और फिर 1997 से 2004 तक निरंतर अपे स बैंक के अ यक्ष बने। बीच में पांच माह के लिए वर्ष 1996 में सूरज प्रकाश रजिस्ट्रार सहकारिता ओआईसी बने। 2004 से लेकर 2008 तक मनोज कुमार, डॉ. भागीरथ प्रसाद, व्ही.वी. धर्माधिकारी, आर.के. सवाई सभी आईएएस एवं बाद में सहकारिता मं ाी गोपाल भार्गव अपे स बैंक के मनोनीत अ यक्ष रहे।भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में पूर्व विधायक एवं त कालीन उपा यक्ष अपे स बैंक भंवरसिंह शेखावत को अ यक्ष मनोनीत किया गया। इसके साथ ही अपे स बैंक के संचालक मंडल एवं अ यक्ष पद पर विधिवत निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। इसके परि ाामस्वरूप अपे स बैंक संचालक मंडल के निर्वाचन र्पू ा होने के बाद 19 नवंबर को भंवरसिंह शेखावत अपे स के 22वें अ यक्ष के रूप में विधिवत निर्विरोध निर्वाचन हुआ। ाी शेखावत के निर्वाचन ने अपे स बैंक के अ यक्ष में एक नया गैर कांग्रेसी अ यक्ष होने का पन्ना जोड़ते हुए एक नया इतिहास रच दिया।

सोमवार, 9 नवंबर 2009

शादीशुदा मर्द पसंद हैं बॉलीवुड अभिनेत्रियों को


शादी दो जवां धड़कनों का मेल होता है, जिसके लिए सदियों से युवा अवस्था में ही कुंवारें, नवयुवकों की शादी होती रही है और इसे ही हर एक ने स्वीकारा है। परंतु शादी होने के बाद यदि शादी होती है तो वह शादी नहीं समझौता होता है। जैसा की हमारी फिल्मी दुनिया में हो रहा है। बहुत जल्द विवाह बंधन में बंधने जा रही फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी की शादी विवाहित राज कुंद्रा के साथ लगभग तय हो चुकी है। फिर एक बार बहस छिड़ गई है कि क्योंभाता है शादी शुदा मर्द इन फिल्मी बालाओं को....बहस है तो है... पहले भी ऐसा होता रहा।स्वप्न सुंदरी हेमा मालिनी ने न जाने कितने युवाओं का दिल तोड़कर विवाहित फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र से विवाह रचाया था। जबकि धर्मेंद्र की पत्नी के साथ उनके दो बेटे भी थे। उन्होंने तो धर्म परिवर्तन (मुस्लिम धर्म) में जाकर शादी की थी। यह तो प्रेम परवान की बात थी जिसे उन दोनों ने ताउम्र (अभी भी) दोनों अभिनेता व अभिनेत्री समय अंतराल के साथ आज देश का नेतृ व सांसद पति-पत्नी होकर कर रहे हैं। परंतु क्या ये नई-नई जोडिय़ां या सफलता हांसिल कर पाएंगी। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अभिनेत्री करिश्मा कपूर जहां अभिषेक से शादी को तोड़कर तलाकशुदा संजय कपूर से विवाह रचाया और उसके पश्चात कई महिनों तक विवादों की खबरें उठती रहीं।


लंदन के कारोबारी राज कुंद्रा के साथ इस महीने विवाह के अटूट बंधन में बंधने जा रहीं अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी बॉलीवुड की उन अदाकाराओं में शुमार होने जा रही हैं, जिन्होंने विवाहित पुरुषों से प्रेम किया और फिर शादी की।हेमा मालिनी, श्रीदेवी और रवीना टंडन जैसी अभिनेत्रियों ने भी ऐसा ही किया था। दो साल पहले अंतरराष्ट्रीय रियलिटी शो 'बिग ब्रदर' में जीत हासिल कर ब्रिटेन में प्रसिद्ध हो चुकी शिल्पा की इसके कुछ ही समय बाद ही 34 वर्षीय करोड़पति कुंद्रा से मुलाकात हो गई थी। अब वह 22 नवम्बर को कुंद्रा से विवाह करने जा रही हैं।कुंद्रा, शिल्पा से मुलाकात से पहले ही अपनी पत्नी से अलग हो चुके थे, लेकिन उनकी पूर्व पत्नी ने सार्वजनिक तौर पर शिल्पा को उनकी शादी तोड़ने का दोषी करार दिया है। हालांकि शिल्पा का कहना है कि उन दोनों के आधिकारिक तौर पर अलग हो जाने के बाद ही उन्होंने कुंद्रा से मिलना-जुलना शुरू किया था।शिल्पा का कहना है, "ईमानदारी से कहूं, तो मैं पहले दिन से ही राज को पसंद करती थी, लेकिन मैं इस बात से इनकार करती थी। मैंने उनके सामने स्पष्ट कर दिया था कि जब तक वह तलाक नहीं ले लेते, तब तक हमारा रिश्ता दोस्ती से आगे नहीं जा सकेगा।" पहले भी कई फिल्म अभिनेत्रियों को सफल शादीशुदा पुरुषों से प्रेम हुआ है। इनमें से कुछ पुरुष अपनी पत्नियों से अलग हो चुके थे तो कुछ उन्हीं के साथ रह रहे थे।

बॉलीवुड की 'ड्रीमगर्ल' हेमा मालिनी को उनसे प्रेम हो गया था। धर्मेंद्र ने इस्लाम धर्म कबूल कर 1980 में हेमा से विवाह किया था। उनकी दो बेटियां ईशा और अहाना हैं। अपने समय के बहुचर्चित सितारे रहे धर्मेंद्र ने प्रकाश कौर से शादी की थी, जिनसे उनके चार बच्चे दो बेटियां और बेटे सन्नी और बॉबी देओल थे।


बॉलीवुड की पूर्व डांसर हेलन को भी विवाहित पटकथा लेखक सलीम खान से प्यार हो गया था। इसी तरह अभिनेत्री श्रीदेवी ने 1996 में दो बच्चों के पिता निर्माता बोनी कपूर से विवाह किया था। अभिनेत्री शबाना आजमी ने जाने-माने गीतकार जावेद अख्तर से विवाह किया था, जबकि जावेद पहले ही हनी ईरानी से विवाह कर चुके थे। उनके पहली पत्नी से दो बच्चे फरहान और जोया हैं। करिश्मा कपूर, रवीना टंडन, महिमा चौधरी ने भी विवाहित पुरुषों को ही अपनाया है। अभिनेत्री करीना कपूर भी इन दिनों अभिनेता सैफ अली खान के साथ समय गुजार रहीं हैं। सैफ तलाकशुदा हैं।




मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

स्वर्णिम मध्यप्रदेश के प्रमुख लक्ष्यों को वर्ष 2013 तक प्राप्त किया जायेगा

मंथन की अनुशंसाओं के आधार पर बजट बनेगा, मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा मंथन-2009 का शुभारंभ
Bhopal:Monday, October 5, 2009

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश के संकल्प के प्रमुख लक्ष्यों को हर हाल में वर्ष 2013 तक पूरा करना है। 'मंथन-2009' से इस संकल्प की पूर्ति के लिये जो व्यावहारिक सुझाव प्राप्त होंगे उन्हीं के आधार पर प्रदेश का अगला बजट बनेगा। उन्होंने कहा कि 'मंथन-2009' का एक उद्देश्य एक 'टीम मध्यप्रदेश' भी बनाना है जो प्रदेश के विकास और लोगों की खुशहाली के दायित्वों की पूर्ति की वाहक होगी। श्री चौहान आज प्रशासन अकादेमी में दो दिवसीय 'मंथन-2009' कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।
कार्यशाला में मंत्रिपरिषद के सदस्यों सहित प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, संभाग आयुक्त, जिला कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अन्य विकास और निर्माण विभागों के अधिकारियों सहित करीब 200 अधिकारी भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह कार्यशाला स्वर्णिम मध्यप्रदेश के संकल्प की पूर्ति के लिये प्रदेश के तेज गति से विकास और आम आदमी तक शासकीय योजनाओं का लाभ बिना देरी के पहुंचाने के उद्देश्य से शासकीय तंत्र में जरूरी बदलाव और व्यवहारिक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिये आयोजित की गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश केवल नारा या सपना नहीं है। यह संकल्प है जिसे हर हाल में सन् 2013 तक पूरा करना है। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की पूर्ति के लिये राज्य शासन ने सात सर्वोच्च प्राथमिकताएं निर्धारित कर उनकी पूर्ति के लिये विषय विशेषज्ञों के विशेष कार्यदल बनाये हैं। इन कार्यदलों के विचार-विमर्श और इस कार्यशाला के बाद प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर ही प्रदेश का वर्ष 2010-11 का बजट बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये निर्धारित सात प्राथमिकताओं पर व्यावहारिक अनुशंसाएं करने पर ही 'मंथन-2009' केन्द्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि मंथन में शामिल मंत्रीगण और अधिकारियों को जमीनी हकीकत का अंदाजा है और वे उसी अनुरूप व्यावहारिक अनुशंसाएं करें, जो अगले एक ही साल में पूरी हो सकें।
श्री चौहान ने कहा कि चिंतन की आवश्यकता हमेशा रहती है। उद्देश्य यह है कि हम बेहतर से बेहतर सोचें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास और आम आदमी की खुशहाली के कामों में अभी जो समस्याएं हैं उनका समाधान हमें ही खोजना है।
श्री चौहान ने कहा कि पिछले साढ़े पांच साल में प्रदेश में अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। सड़क निर्माण में लगभग क्रांति हुई। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीण सड़कों पर ध्यान देना है। श्री चौहान ने कहा कि सन् 2013 तक भरपूर बिजली प्रदाय सुनिश्चित करना सरकार का लक्ष्य है। साथ ही बिजली की बचत के उपाय भी खोजना है। उन्होंने सिंचाई की स्थापित क्षमता का पूरा उपयोग करने के साथ ही प्रदेश में उपलब्ध पानी के उपयोग की नयी संभावनाओं की तलाश पर भी जोर दिया।
श्री चौहान ने मातृ-शिशु मृत्यु दर के वर्तमान प्रतिशत को प्रदेश के लिये अच्छा नहीं बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर में भी सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पाने पर हम भावी पीढ़ियों के लिये अपराध करेंगे।
श्री चौहान ने कहा कि आपराधिक तत्वों की सही जगह जेल है। अपराधियों में सरकार का भय पैदा करना और आम आदमी को भयमुक्त करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रदेश में सभी प्रकार के माफिया के खात्मे को कानून-व्यवस्था के लिये जरूरी बताया।
श्री चौहान ने कहा कि सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। सुशासन के अनेक आयाम हैं। विकास के काम समय पर और गुणवत्तापूर्ण हो, प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो और आम आदमी तक सरकारी योजनाओं का लाभ बिना देरी के पहुंचाना भी सुशासन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती को लाभदायी व्यवसाय बनाने के लिये और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि ऋणों की ब्याज दर में कमी किये बगैर और कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य पर बोनस दिये बगैर हमें कृषि को लाभदायी बनाने के प्रयास करने होंगे।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में विकास और लोगों की खुशहाली के लिये चिंतन प्रक्रिया दो स्तर पर जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि पहला स्तर मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित विभिन्न वर्गों की पंचायतें हैं, जो आगे भी जारी रहेंगी। दूसरा स्तर 'मंथन' जैसे प्रशासनिक विचार-विमर्श है, जो निरंतर रहेंगे।
प्रारंभ में मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी ने 'मंथन-2009' के उद्देश्यों और रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंथन में शामिल अधिकारी ऐसी अनुशंसाएं करें, जो व्यवहारिक हों, और जिनका लक्ष्य समग्र विकास और व्यापक जनहित हो। उन्होंने 'मंथन-2007' पर की गई कार्रवाई की भी जानकारी दी। श्री साहनी ने अपेक्षा की कि सरकार को नयी दिशा और नयी गति देने का यह प्रयास सफल होगा।

मंथन-2009 के औपचारिक शुभारंभ के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान विचार-विमर्श के लिये गठित सभी सात कार्य समूहों क्रमश: अधोसंरचना एवं विकास, निवेश वृद्धि, कृषि को लभदायी व्यवसाय बनाना, शिक्षा और स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, सुशासन एवं संसाधन विकास और सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था के कक्षों में भी गये। श्री चौहान ने प्रत्येक समूह में किये जा रहे विचार-विमर्श को ध्यानपूर्वक सुना। इन सात समूहों में शामिल सभी अधिकारी अपने मैदानी अनुभवों और ज्ञान को एक दूसरे से साझा करते हुए प्रदेश के विकास और आम लोगों की तरक्की में आने वाले अवरोधों को दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श कर अगले एक साल में पूरी की जाने वाली व्यवहारिक अनुशंसाएं देंगे। इन अनुशंसाओं के आधार पर विभिन्न नीति, नियम, प्रक्रिया में व्यावहारिक बदलाव लाने, कठिन नियम-कायदों को सरल बनाने और अन्य ऐसे नये कायदे-कानून बनाये जायेंगे जिनसे प्रदेश का विकास गतिमान हो और लोगों की कठिनाइयां दूर होकर वे खुशहाल बन सकें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रशासन अकादेमी पहुंचने पर अकादेमी महानिदेशक डॉ। संदीप खन्ना ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।


समन्वय एवं सहयोग से अन्य विभागों की जवाबदेही तय (डेंगू चिकनगुनिया की रोकथाम)
सिविल बॉयलॉज प्रभावी ढंग से लागू होगा
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 17:56IST

चिकनगुनिया एवं डेंगू बीमारी की रोकथाम के पंद्रह विभागों के समन्वय से एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर हर विभाग की जिम्मेदारी तय करके इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा आयुष एवं ऊर्जा मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि डेंगू बीमारी पर नियंत्रण के लिए व्यापक अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे डेंगू बीमारी से भयभीत न हों लेकिन सावधानी सतर्कता बरतें और सहयोग करें।
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि डेंगू बीमारी की रोकथाम के उपाय पंद्रह विभागों से जुड़े हुए हैं। इन विभागों को चिन्हित कर हर विभाग के कार्यों का निर्धारण कर दिया है। सभी विभाग प्रमुखों को उनकी जवाबदेही तय कर स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से पूरे प्रदेश में डेंगू की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
नगरीय निकाय:- नगरीय निकाय डेंगू की रोकथाम के लिए 'सिविल बॉयलॉज' का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन करेंगे। वे उन घरों के स्वामी पर अर्थदंड लगाएंगे जिनकी वजह से मच्छरों की उत्पत्ति हो रही है। घरों के बाहर सार्वजनिक स्थलों पर रुके हुए पानी की सप्ताह में एक बार निकासी की जाएगी।
शहरी विकास विभाग:- यह विभाग 'बिल्डिंग बॉयलॉज के तहत ऐसे नियम बनाएंगे जिससे की निर्माण स्थल मच्छरों से मुक्त हों।
पंचायत विभाग:- पंचायत विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के साथ ही लोगों को जागरूक बनाएगा। जवाहर रोजगार योजना का क्रियान्वयन नालियों को सुधारने और स्वच्छता में किया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्राप्त धनराशि से स्वच्छता का कार्य किया जाएगा और मच्छर की उत्पत्ति रोकने के प्रयास किए जाएंगे। स्थायी जलस्रोतों में लार्वाभक्षी मछलियों का संचय करने के साथ ही जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सहयोगी की भूमिका निभाएगा।
ग्रामीण विकास विभाग:- ग्रामीण विकास विभाग गांवों में जल प्रदाय योजना का रख-रखाव करने के साथ ही पानी का एकत्रीकरण रोकेंगे। अनुपयोगी कुओं एवं गड्ढों का भराव करेंगे।
महिला बाल विकास विभाग:- विभाग द्वारा संचालित आंगनवाड़ियों के कार्यकर्ता डेंगू चिकनगुनिया के लक्षण वाले मरीज की जानकारी तत्काल उप स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को देंगे। इसके साथ ही मच्छरों का लार्वा नष्ट करने में सहयोग करेंगे।
स्कूल एवं उच्च शिक्षा विभाग अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग:- यह विभाग वैक्टर जनित बीमारियों के नियंत्रण के उपाय पाठ्यक्रमों में जोड़ेंगे। स्कूलों में स्वच्छता अभियान चलाएंगे, सीमेंट की टंकियों कूलर का साप्ताहिक निरीक्षण एवं पानी की निकासी करेंगे। निबंध प्रतियोगिताएं एवं सेमिनार का आयोजन कर बच्चों, लोगों में जागरूकता लाएंगे तथा बचाव के तरीके बताएंगे। छात्रावासों में विद्यार्थियों को मच्छरदानी उपलब्ध कराने एवं उपयोग को बढ़ावा देंगे।
उद्योग विभाग:- हर उद्योगों में एक सप्ताह में रुके हुए पानी की निकासी का अभियान चलाएंगे।
वन विभाग:- वन ग्रामों में बुखार के उपचार में सहयोग देंगे।
मत्स्य विभाग:- लार्वाभक्षी गम्बूशिया मछली सभी जिलों में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।
जल संसाधन विभाग:- स्टाप डेम बनने के साथ-साथ एकत्रित जल में लार्वाभक्षी मछली का संचय करेंगे। नहर में जमा पानी एक सप्ताह में फ्लश करेंगे। निर्माण स्थलों पर मजदूरों की नियमित स्वास्थ्य जांच, बुखार आने पर तत्काल उपचार की व्यवस्था करायेंगे।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग:- हेंडपंप के आसपास सोखते गड्ढे बनाने के साथ ही सीमेंट की टंकियों से एक सप्ताह में पानी की निकासी कराएंगे। नलजल योजना पानी का सीवेज रोकेंगे।
लोक निर्माण विभाग:- सड़कों के निर्माण के समय सड़क के आसपास गड्ढों में पानी न जमा होने देना तथा शासकीय भवनों में सीमेंट की टंकियों को मच्छरप्रूफ बनाना।

"मंथन 2009" में शासन की प्राथमिकताओं और कार्यक्रमों पर सघन विमर्श
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 21:58IST

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर राज्य की तरक्की और आम आदमी की खुशहाली के लिये आज यहां आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी में मंत्रिपरिषद के सदस्यों सहित प्रदेश के 200 से अधिक आला अधिकारियों ने विभिन्न समूहों में अपने अनुभवों और सुझावों को साझा किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह के प्रदेश के समग्र विकास के सात संकल्पों को साकार करने के इस महती आयोजन में सभी ने मंथन के शुरूआती दिन सरकार की नीतियों नियमों और कार्यपद्धति की विभिन्न खामियों को दूर करने तथा उनमें सकारात्मक बदलाव लाने के बारे में सघन विचार विमर्श किया। मंथन 2009 के इस आयोजन के पहले दिन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी ने भी बारी-बारी से विभिन्न समूहों की चर्चा में भागीदारी करी और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये। मुख्यमंत्री द्वारा मंथन 2009 का शुभारंभ करने के बाद मंत्रिपरिषद के सदस्य अपनी-अपनी रूचि से विभिन्न स्कूलों में शामिल हुए और मंथन की प्रक्रिया में भागीदार बने।
उल्लेखनीय है कि 'मंथन 2009' में मुख्यमंत्रीजी के सात संकल्पों पर आधारित सात समूहों का गठन किया गया है ये हैं (1) अधोसंरचना विकास, (2) निवेश वृद्धि, (3) कृषि को फायदे का धंधा बनाना, (4) शिक्षा और स्वास्थ्य, (5) महिला सशक्तिकरण, (6) सुशासन एवं संसाधन विकास, (7) सुरक्षा और कानून व्यवस्था। इन सभी समूहों ने 'मंथन' के प्रथम दिन अपने मध्य से एक-एक वरिष्ठतम अधिकारी का अध्यक्ष के रूप में चयन कर गंभीरतापूर्वक विचार-मंथन किया। आम लोगों की खुशहाली के मद्देनजर प्रशासन में निचले स्तर तक सुशासन कायम करने के इरादे से 'सुशासन एवं संसाधन विकास' समूह में प्रशासनिक सुधार, अधिकारियों-कर्मचारियों की एक जगह पदस्थापना के लिए निश्चित समय निर्धारण, अल्प और दीर्घ समयावधि के लिये लक्ष्यों के निर्धारण, अधिकारों के विकेन्द्रीकरण, वित्तीय अधिकारों में अपेक्षित बदलाव, शासन-प्रशासन को और संवदेनशील बनाने, सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग और आम लोगों तक सूचनाओं और जानकारियों की पहुंच सुनिश्चित करने के जैसे कई मुद्दों पर सुझाव दिये गये। इसी तरह मानव संसाधन के प्रभावी उपयोग और जनहित के कार्यों के सुचारू क्रियान्वयन की दृष्टि से सरकारी अमले के कार्य-व्यवहार में बदलाव तथा इस उद्देश्य से उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के बारे में भी राय व्यक्त की गई।
राज्य में अधोसंरचना एवं विकास के संदर्भ में मैदानी अधिकारियों ने अपने-अपने महत्वपूर्ण सुझावों को समूह के समक्ष रखा। इस दौरान प्रदेश में सड़क, बिजली, पेयजल, सिंचाई और आम लोगों के लिए कम लागत के सस्ते मकान सुलभ कराने जैसे मुद्दों पर गंभीर विमर्श हुआ। प्रदेश के गरीब और कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए कम कीमत के सस्ते मकान मुहैया कराने के लिये मौजूदा आवास नीति में अपेक्षित बदलाव और नियम-प्रक्रियाओं में परिवर्तन की दिशा में भी समूह सदस्य एकमत दिखे।
राज्य के औद्योगिक विकास को गति देने के लिए निवेश वृद्धि के बारे में समूह में सदस्यों ने विभिन्न अनुशंसाएं की। बड़े शहरों में जहां औद्योगिकरण की व्यापक संभावनाऐं हैं उनके दबाव को कम करने निकटवर्ती शहरों औद्योगिक विकास पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई। प्रदेश में सर्वाधिक वन क्षेत्र तथा प्राकृतिक सौन्दर्य की सुलभता के बावजूद ईको पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश में अपेक्षित प्रगति ना होने के संदर्भ में विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान समूह के सदस्यों ने राज्य के ईको-पर्यटन स्थलों की पहचान और समग्र विकास पर जोर दिया। इसके अलावा जल आधारित पर्यटन, मेडिकल पर्यटन, प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्हें विभिन्न प्रोत्साहन एवं सुविधाओं को उपलब्ध कराने के बारे में भी चर्चा हुई।
मध्यप्रदेश के विभिन्न हस्तशिल्प के विकास, कारीगरों के कौशल संवर्धन, ग्रामीण दस्तकारी तथा ग्रामोद्योग के लिए नये बाजार खोजने तथा उत्पादों की ब्रान्डिंग एवं मार्केटिंग के विषय पर भी उपयोगी सुझाव दिये गये। प्रदेश में खनिज उद्योगों की मंजूरी में आ रही दिक्कतों तथा वन एवं पर्यावरण संबंधी प्रावधानों की वजह से इस क्षेत्र की प्रगति में आ रही बाधाओं को दूर करने के बारे में विमर्श हुआ। राज्य में बिगड़े वनों के सुधार के लिए निजी पूंजी निवेश कर पर्यावरण सुधार तथा हरियाली के विकास के साथ-साथ कार्बन क्रेडिट व्यापार के जरिये प्रदेश के आर्थिक विकास के बारे में भी रचनात्मक सुझाव दिये गये।
'मंथन 2009' के इस अनूठे आयोजन में प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास, उद्यानिकी के अन्तर्गत साग-सब्जी फूलों की खेती को बढ़ावा देने, सब्जियों और फलों के उत्पादन के विकास की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए संबंधित जिलों में इनके कलस्टरों का विकास किये जाने पर व्यापकता से बात हुई। प्रदेश से विदेशों में फूलों के निर्यात के जरिये किसानों के आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से इंदौर और भोपाल में इन्टरनेशनल कार्गो की सुविधा सुलभ कराए जाने के बारे में भी समग्र विचार हुआ।
आम आदमी के जीवन में सकारात्मक बदलाव के इस मंथन में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य तथा कानून व्यवस्था के संदर्भ में आला अधिकारियों और मंत्रिपरिषद सदस्यों ने सघन रायशुमारी कर जनजीवन की खुशहाली के नए रास्ते तलाशे।


डिण्डौरी पुलिस फायरिंग घटना
तीन मृतकों के आश्रितों को दिए नियुक्ति पत्र, घायलों को 70 हजार सुपुर्द, हायर सेकंडरी स्कूल भी खोलेंगे, मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह पहुँचे तीनों गाँव
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 20:55IST

डिण्डौरी पुलिस फायरिंग हादसे को लेकर राज्य सरकार ने पीड़ितों के लिए किए गए अपने वायदे पर त्वरित अमल किया है। आज आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह ने घटना के तीनों मृतकों में से प्रत्येक के एक आश्रित को सरकारी और नियमित नौकरियों के नियुक्ति पत्र सौंप दिए। उन्होंने पूर्व में किए गए अपने वायदे के मुताबिक ही 35 घायलों को अतिरिक्त तौर पर 2-2 हजार रुपए के मान से कुल 70 हजार रुपए की सहायता राशि भी सुपुर्द की। आज एक नई घोषणा उन्होंने परसेल गाँव में अगले सत्र से एक हायर सेकंडरी स्कूल खोले जाने की भी की।
आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह ने परसेल गाँव पहुँचकर उक्त घटना में मृत श्री दिनेश की पत्नी श्रीमती सुशीला को समीप के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोरखपुर में भृत्य की नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा। मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह ने एक अन्य गाँव मोहगाँव के इस घटना में मृत श्री बृजलाल के पुत्र श्री औंकार को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रूसा में भृत्य के पद का नियुक्ति पत्र सौंपा। इसी तरह एक और गाँव बुंदेला झिगरी टोला के मृतक श्री कैलाश के पुत्र श्री पनेश्वर दास को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करंजिया में भृत्य के पद पर नियुक्ति का पत्र सौंपा।
मंत्री की और मानवीय पहल
अजा, अजजा कल्याण मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह ने मानवीयता की एक और पहल करके मृतक श्री कैलाश की पुत्री सुश्री श्यामा को मुफ्त स्कूली गणवेश और स्कूल जाने के लिए जल्द सायकिल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इसी तरह मृतक श्री बृजलाल के पिता श्री धनीराम और माता श्रीमती भागवती को वृद्धावस्था पेंशन देने और उपरोक्त तीनों मृतकों के परिवार को एक-एक इंदिरा आवास देने का भी उन्होंने वायदा किया। इसी तरह उन्होंने इसी मृतक श्री दिनेश के पिता श्री प्रेमलाल और माता श्रीमती चैतीबाई को वृद्धावस्था पेंशन देने के अफसरों को निर्देश दिए। इसी मृतक के भाई श्री गणेश का नाम गरीबी रेखा की सूची में भी जोड़ा जाएगा।
तीनों गाँव में अधोसंरचना विकास
मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह ने इस मौके पर परसेल, मोहगाँव और झिगरी में अधोसंरचना विकास कराए जाने की अलग से घोषणा की। इसके तहत इन गाँवों में नल-जल योजना, मजरे-टोलों का विद्युतीकरण और हैंडपंपों का अतिरिक्त खनन होगा। इसके अलावा पहुँच मार्ग और उन पर पुल-पुलियाएं बनेंगे और स्टॉपडेम भी तैयार किया जाएगा। इन सारे कामों का सर्वे एक महीने में होगा। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का गाँव वालों को लाभ देने के लिए परसेल गाँव के 13 वार्डों में लोक कल्याणकारी शिविर भी जल्द लगाए जाएंगे।
इस मौके पर पूर्व मंत्री श्री ओमप्रकाश धुर्वे जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती ज्योति प्रकाश धुर्वे, अन्य गणमान्य नागरिक और सरकारी अफसर मौजूद थे।

प्रशासन अकादमी में - "उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास की चुनौतियां" दो दिवसीय संगोष्ठी प्रारंभ
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 19:25IST

आर.सी.व्ही.पी. प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी भोपाल में आज से 'उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास की चुनौतियां' विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी प्रारंभ हुई। संगोष्ठी के प्रथम दिवस आज पूर्व में उत्तर पूर्वी राज्यों से संबद्ध रहे मध्यप्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों श्री के.के. सेठी, पूर्व मुख्य सचिव मणिपुर राज्य, श्री अतुल सिन्हा, पूर्व सचिव भारत सरकार एवं श्री एस.बी. त्रिपाठी, पूर्व महानिदेशक पुलिस नागालैण्ड राज्य ने अपने विचार व्यक्त किये।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुये मणिपुर के पूर्व मुख्य सचिव श्री के.के. सेठी ने बतलाया कि पूर्वोत्तर प्रदेशें को सात बहिनों एवं एक भाई के नाम से जाना जाता है। जिसमें अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय एवं नागालैण्ड सात बहनें और सिक्किम राज्य को भाई माना गया है। जनजातीय बहुल पूर्वोत्तर राज्यों की अधिकांश जनसंख्या में साक्षरता का प्रतिशत भारत के औसत से अधिक लगभग 68.4 प्रतिशत है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से जानकारी दी। श्री सेठी ने बताया कि उक्त राज्यों में महिला सशक्तिकरण का प्रतिशत देश के अन्य राज्यों से अधिक है तथा यहाँ के अधिकांश व्यापार एवं धंधों का संचालन महिलायें करती हैं। प्राकृतिक रूप से सुन्दर एवं उपजाऊ इन राज्यों में खेती, उद्यानिकी की काफी संभावनायें हैं। इस क्षेत्र में साक्षरता का प्रतिशत अधिक होनें से लोगों में जागरूकता भी अधिक है। मणिपुर में पंजाब राज्य के लुधियाना ज्यादा उर्वरक का उपयोग किसान करते हैं। इस क्षेत्र के विकास हेतु मंजूर की गई 1400 कि.मी. लम्बी 'ट्रान्स अरूणाचल हाईवे रोड' के निर्माण के पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को नई गति मिलेगी।
भारत सरकार के पूर्व सचिव श्री अतुल सिन्हा ने पूर्वोत्तर राज्यों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वतंत्रता के पश्चात उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 1972 में गठित 'नार्थ-ईस्ट काउंसिल' के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिये भारत सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के बजट की दस प्रतिशत राशि को 'नान लेप्सेबिल पूल' में रखे जानें तथा पृथक से मंत्रालय का गठन किये जाने को एक क्रांतिकारी कदम बतलाया। श्री सिन्हा ने बताया कि इससे उत्तर-पूर्वी राज्यों में सड़कों के निर्माण, स्व-रोजगार स्थापना के कार्य, पर्यटन स्थलों के विकास के साथ जल विद्युत उत्पादन के कार्यों को गति मिली है। नार्थ-ईस्ट काउंसिल द्वारा जनमत संग्रह कर तैयार किये गये 'विजन नार्थ-ईस्ट 2020' कार्यक्रम को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2008 में लागू कर दिया गया है। जिससे अधिक राशि इन राज्यों के विकास के लिये मिलेगी और पूर्वोत्तर राज्यों के प्राकृतिक स्त्रोतों का सही प्रकार दोहन होने से राज्यों के साथ यहाँ के निवासियों की समृद्धि बढ़ेगी।
नागालैण्ड के पूर्व महानिदेशक पुलिस श्री एस।सी.त्रिपाठी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास में कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने नागालैण्ड, असम एवं मणिपुर राज्यों में आतंकवादी एवं अलगाववाद की गतिविधियों के कारणों के बारे में बतलाया। उन्होंने इन गतिविधियों का मुख्य कारण राजनैतिक बतलाया। उन्होंने नेशनल सोर्सेज आफ नागालैण्ड (एन.एस.सी.एन.) की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी। प्रशासन अकादमी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में केन्द्रीय सेवाओं तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।


उचित मूल्य दुकानों को नई सूरत
पांच लाख की होगी अलग बिल्डिंग, बिक्री और भण्डारण एक जगह, गाँव के बीच होगा अब ठिकाना, जल्द कार्रवाई के निर्देश
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 18:46IST

राज्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के पूरे ढाँचे को एक नए मुकाम पर पहुँचाना चाह रही है। यह खास कोशिश पूरे देश में पहली बार हो रही है और गाँवों से शहरों तक के समूचे प्रशासकीय तंत्र को इसे अंजाम तक पहुँचाने के लिए चौकन्ना और सक्रिय कर दिया गया है। इस सिस्टम के महत्वपूर्ण अंग के बतौर उचित मूल्य दुकानों का कायाकल्प करने का फैसला भी किया गया है। इससे इन दुकानों की अपनी अलग नई पहचान तो बनेगी ही, शो-रूम जैसी सूरत और काम का अंदाज भी इन्हें मिलेगा। पांच लाख रुपए की लागत से तैयार होने वाली सजी-संवरी इन दुकानों की बिल्डिंग में बिक्री के साथ ही भण्डारण का भी इंतजाम होगा। इन्हें गाँव के बीचो बीच खाली पड़ी सरकारी ज़मीन पर जल्द तैयार करने के निर्देश कलेक्टरों और अन्य संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।
बरसों से पुराने ढर्रे पर चल रही उचित मूल्य दुकानें प्रदेश में अब जल्द गुजरे ज़माने की बात बन जाएंगी। इस पूरे सिस्टम को बदलने का आखिरी मक़सद उस गरीब तबके तक आसानी से और पर्याप्त मात्रा में राशन पहुँचाना है जो इसे पाने का असल हकदार है। सरकार के देखने-समझने में यह बात भी आई थी कि जहाँ कहीं इन दुकानों की खुद की बिल्डिंग नहीं हैं वहां प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाएं इन्हें किराए पर लेकर गाँव की बस्ती से दूर चला रही हैं। इसके चलते गाँव के लोगों को अपना महीने का राशन खरीदने में खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।
दुकान सह गोदाम के इस काम की रफ्तार और निगरानी का जिम्मा प्रमुख सचिव खाद्य आपूर्ति श्री अशोक दास के हवाले किया गया है। नई पहचान और सूरत लेने जा रही प्रदेश की इन नई उचित मूल्य दुकानों की डिजायन, ले-आऊट जरूरत के मुताबिक विशेषज्ञों से तैयार करवा कर सभी जिलों को भेजे गये हैं। काम पर तत्काल कार्रवाई शुरू करने को कहा गया है।
सेल्समेनों को मिलेगी मार्केटिंग की ट्रेनिंग
उचित मूल्य दुकाने अब सिर्फ सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन और अन्य सामग्री की बिक्री का ही ठिकाना नहीं रहेंगी। इन दुकानों पर सेल्समेन की तैनाती का फैसला असल में इस मकसद से किया गया है कि इन्हें चलाने वाली संस्था को इन दुकानों को तयशुदा वक्त पर नियमित खोले रखने में समय का अभाव बताने या अन्य कोई बहाना गढ़ने का मौका नहीं मिले। चूँकि अब सेल्समेन इस काम के लिए वहाँ तैनात रहेंगे इसलिए उपभोक्ताओं को दुकान बंद देखकर खाली हाथ लौटने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा। सेल्समेन को दुकान से मिलने वाली तनख्वाह नाकाफी न पड़े इसके लिए इन दुकानों पर रोज़मर्रा की बुनियादी जरूरत के अन्य सामान बेचे जाने का इंतजाम भी किया जा रहा है। इस अन्य सामान की बिक्री से होने वाले मुनाफे में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी सेल्समेन की और 25 प्रतिशत दुकान चलाने वाली संस्था की होगी। बेचे जाने वाला यह सामान कौन सा हो इसका फैसला जिलों के संबंधित अफसर करेंगे।
सेल्समेन को मौजूदा दौर की जरूरतों के मुताबिक मार्केटिंग के गुर सिखाने का काम सुप्रतिष्ठित और जानीमानी कंपनियों के जरिए करवाने पर विचार शुरू हो गया है। सेल्समेन के व्यवहार, तौर तरीके और लोगों से मिठास और प्रेम से पेश आने की कला इस ट्रेनिंग में शुमार होगी। यानि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को अब इन दुकानों पर किसी दुर्व्यवहार और कड़वाहट से भी दो-चार नहीं होना पड़ेगा।


दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिये पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराने के निर्देश
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा पशुपालन एवं मछलीपालन की गतिविधियों की समीक्षा
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 17:52IST

कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती रंजना चौधरी ने कहा है कि रीवा एवं शहडोल संभाग में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिये पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु प्रदाय किये जाये। साथ ही संभाग में उत्पादित होने वाले दुग्ध के बेहतर उपयोग के लिये दुग्ध रूट तय किये जायें। ऐसा करके अधिक से अधिक व्यक्तियों को लाभान्वित किया जा सकता है। कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती चौधरी पिछले दिनों रीवा में आयोजित बैठक में रीवा एवं शहडोल संभाग में संचालित पशुपालन एवं मत्स्यपालन की विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रही थी।
श्रीमती चौधरी ने कहा कि आगामी माहों में पशुओं के चारे की व्यवस्था कम न हो इसके लिये जिलों के कलेक्टर कार्ययोजना तैयार कर लें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि संभाग में हाईब्रीड नस्ल के पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिये विभागीय अधिकारी पशु चिकित्सा सेवा को और अधिक प्रभावी बनायें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने बाणसागर तालाब में मत्स्यपालन को और अधिक बढ़ाने के निर्देश दिये। उन्होंने संभाग में दुग्ध रूट की तरह मत्स्य रूट भी तैयार करने के निर्देश दिये। पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज गोयल ने निर्देश दिये कि संभाग में पशुपालन के क्षेत्र में प्रोड्यूसर कंपनी बनायी जाये। बैठक में बताया गया कि रीवा एवं शहडोल संभागीय मुख्यालय पर आधुनिक मत्स्य विक्रय केन्द्र खोला जाना प्रस्तावित है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुये दोनों संभागों में मत्स्य पालन को और अधिक प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। बैठक में कमिश्नर रीवा डॉ. रवीन्द्र पस्तोर ने पशुपालकों एवं मत्स्यपालकों को आधुनिक प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता बतायी।
फल और सब्जी के उत्पादन को बढ़ाने के लिये आधुनिक तकनीक की जानकारी देने के निर्देश
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा है कि रीवा और शहडोल संभाग में फल और सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये किसानों को उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी दी जाये। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रीवा एवं शहडोल संभाग फल और सब्जियों के उत्पादन के लिये उपयुक्त स्थान हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे दोनों संभागों में परम्परागत फल एवं सब्जियों की पहचान कर किसानों को प्रोत्साहित करें। कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती चौधरी ने पुराने बगीचों के जीर्णोद्धार किये जाने एवं हाट बाजार बनाने के लिये कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये। बैठक में रीवा एवं शहडोल संभाग के जिला कलेक्टर एवं जिला पंचायतों के मुख्यकार्यपालन अधिकारी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।


दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिये पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराने के निर्देश
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा पशुपालन एवं मछलीपालन की गतिविधियों की समीक्षा
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 17:52IST

कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती रंजना चौधरी ने कहा है कि रीवा एवं शहडोल संभाग में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिये पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु प्रदाय किये जाये। साथ ही संभाग में उत्पादित होने वाले दुग्ध के बेहतर उपयोग के लिये दुग्ध रूट तय किये जायें। ऐसा करके अधिक से अधिक व्यक्तियों को लाभान्वित किया जा सकता है। कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती चौधरी पिछले दिनों रीवा में आयोजित बैठक में रीवा एवं शहडोल संभाग में संचालित पशुपालन एवं मत्स्यपालन की विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रही थी।
श्रीमती चौधरी ने कहा कि आगामी माहों में पशुओं के चारे की व्यवस्था कम न हो इसके लिये जिलों के कलेक्टर कार्ययोजना तैयार कर लें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि संभाग में हाईब्रीड नस्ल के पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिये विभागीय अधिकारी पशु चिकित्सा सेवा को और अधिक प्रभावी बनायें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने बाणसागर तालाब में मत्स्यपालन को और अधिक बढ़ाने के निर्देश दिये। उन्होंने संभाग में दुग्ध रूट की तरह मत्स्य रूट भी तैयार करने के निर्देश दिये। पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज गोयल ने निर्देश दिये कि संभाग में पशुपालन के क्षेत्र में प्रोड्यूसर कंपनी बनायी जाये। बैठक में बताया गया कि रीवा एवं शहडोल संभागीय मुख्यालय पर आधुनिक मत्स्य विक्रय केन्द्र खोला जाना प्रस्तावित है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुये दोनों संभागों में मत्स्य पालन को और अधिक प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। बैठक में कमिश्नर रीवा डॉ. रवीन्द्र पस्तोर ने पशुपालकों एवं मत्स्यपालकों को आधुनिक प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता बतायी।
फल और सब्जी के उत्पादन को बढ़ाने के लिये आधुनिक तकनीक की जानकारी देने के निर्देश
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा है कि रीवा और शहडोल संभाग में फल और सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये किसानों को उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी दी जाये। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रीवा एवं शहडोल संभाग फल और सब्जियों के उत्पादन के लिये उपयुक्त स्थान हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे दोनों संभागों में परम्परागत फल एवं सब्जियों की पहचान कर किसानों को प्रोत्साहित करें। कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती चौधरी ने पुराने बगीचों के जीर्णोद्धार किये जाने एवं हाट बाजार बनाने के लिये कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये। बैठक में रीवा एवं शहडोल संभाग के जिला कलेक्टर एवं जिला पंचायतों के मुख्यकार्यपालन अधिकारी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।


कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा रीवा एवं शहडोल संभाग में प्रस्तावित रबी कार्यक्रम की समीक्षा
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 17:33IST

कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती रंजना चौधरी ने कृषि अधिकारियों को निर्देश दिये है कि वे किसानों को कृषि की आधुनिक तकनीक की जानकारी देकर कृषि उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास करें। श्रीमती चौधरी पिछले दिनों रीवा में आयोजित बैठक में रीवा एवं शहडोल संभाग में प्रस्तावित रबी 2009-10 कार्यक्रम की समीक्षा कर रही थीं। बैठक में बताया गया कि रीवा संभाग में रबी 2009-10 में 7 लाख 42 हजार हेक्टेयर में तथा शहडोल संभाग में 2 लाख 82 हजार हेक्टेयर में फसल लेने का कार्यक्रम तय किया गया है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि किसानों को समय पर कृषि से संबंधित समसामायिक सलाह दें। किसानों को समय पर खाद, बीज एवं कृषि औषधि मिल सके कृषि अधिकारी यह व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कृषि भूमि सुधार के कार्यक्रम लिये जाने की भी बात कही। बैठक में किसानों को रबी सीजन के दौरान उपलब्ध करायी जाने वाली विद्युत व्यवस्था की भी समीक्षा की गयी। बैठक में प्रमुख सचिव कृषि श्री इंद्रनील शंकर दाणी ने कहा कि किसानों की फसल का मूल्यांकन उनके उत्पाद के आधार पर ही हो यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। उन्होंने संभाग में परम्परागत कृषि तकनीक में बदलाव लाते हुये कृषि की आधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिये जाने के निर्देश कृषि अधिकारियों को दिये।
कृषि संचालक डॉ. डी.एन. शर्मा ने रीवा एवं शहडोल संभाग में बनाये गये बलराम तालाबों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन कराये जाने के निर्देश कृषि अधिकारियों को दिये। बैठक में बताया गया कि इस वर्ष रबी सीजन में रीवा संभाग में 3 लाख 40 हजार हेक्टेयर में अनाज की फसलें, 3.25 लाख हेक्टेयर में दलहन एवं 79 हजार हेक्टेयर में तिलहन की फसल लेने का कार्यक्रम तय किया गया है। शहडोल संभाग में एक लाख 9 हजार हेक्टेयर में गेहूँ एवं 25 हजार हेक्टेयर में चना की फसल लेने का कार्यक्रम तय किया गया है।
बैठक में रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ। रवीन्द्र पस्तोर, शहडोल संभाग के कमिश्नर श्री अरूण तिवारी, दोनों संभागों के जिला कलेक्टर एवं जिला पंचायतों के मुख्यकार्यपालन अधिकारी एवं विभागीय अधिकारीगण मौजूद थे।


नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भी जनसुनवाई करेगा
प्रत्येक मंगलवार 11 से 01 बजे तक जनसुनवाई होगी
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 16:37IST

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के जेल रोड स्थित मुख्यालय नर्मदा भवन में प्रत्येक मंगलवार को जनसुनवाई होगी। यह जनसुनवाई नर्मदा भवन के चतुर्थ तल पर स्थित सभा कक्ष क्र। सी-410 में की जायेगी। सुनवाई का समय पुर्वान्ह 11 बजे से दोपहर 01 बजे तक होगा। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री ओ.पी.रावत ने प्राधिकरण से संबंधित विभिन्न कार्यविषयों के लिये जनसुनवाई करने वाले अधिकारियों को नामांकित कर दिया है। नामांकित सभी नोडल अधिकारी प्रत्येक मंगलवार निर्धारित समय तथा स्थान पर उपस्थित होकर जनसुनवाई करेंगें। जनसुनवाई के दौरान प्राप्त होने वाले आवेदनों/अभिलेखों का विषयवार रिकार्ड भी संधारित किया जायेगा।

मछुआ सहकारी समितियों फर्जी सदस्यों की सदस्यता रद्द
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 16:33IST

प्रदेश में मछुआ सहकारी समितियों में फर्जी ढंग से सदस्य बनकर मछुआरों को मिल रही सुविधाओं का लाभ उठाने की कोशिश करने वाले लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।
जबलपुर संभाग में 377 मछुआ सहकारी समितियों में 15014 सदस्य हैं। इनमें से सिवनी, बालाघाट, कटनी और नरसिंहपुर में जांच के बाद 409 सदस्य फर्जी पाये गये। इनकी सदस्यता रद्द कर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।

रीवा से इलाहाबाद और बनारस फोरलेन सड़क का कार्यशीघ्र शुरू होगा-वन एवं खनिज राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल
Rewa:Monday, October 5, 2009:Updated 15:17IST

रीवा से इलाहाबाद और बनारस फोर लेन सड़क का निर्माण कार्य आगामी समय में शुरू किया जायेगा। इसी प्रकार रीवा, खजुराहो व जबलपुर फोर लेन से भी जुडेगा। इस बारे में केन्द्र सरकार के साथ चर्चा कर शासन स्तर पर प्रयास किये जा रहे है। यह बात आज प्रदेश के वन, खनिज एवं विधि राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कही। वे कल यहां सड़क भूमि पूजन समारोह के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
श्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा नगर एवं जिले की विकास गतिविधियों के बारे में आम जन को अवगत कराते हुये आश्वस्त किया कि आगामी दिनों में विकास की गति को और तेज किया जायेगा। उन्होने तालाब संरक्षण योजना के तहत रानी तालाब के सौन्दर्यीकरण की चर्चा की और कहा यह स्थान शीघ्र ही पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। बीहर नदी संरक्षण योजना के तहत बीस करोड रूपये स्वीकृत किये जाने की जानकारी भी उन्होने दी।
वन एवं खनिज राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने इसके पूर्व ग्राम इटौरा का भ्रमण कर वहा आयोजित एक कार्यक्रम में 55 हितग्राहियों को राशन कार्ड वितरित किये। उन्हाने सगरा माइनर और लक्ष्मणपुर डिस्ट्रीव्यूटरी का निरीक्षण भी किया और साथ चल रहे बाणसागर विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये।


संगोष्ठी में मिजोरम के राज्यपाल का संबोधन आज
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 19:28IST

आर.सी.व्ही.पी. प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी भोपाल द्वारा 'उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास की चुनौतियां' विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन मंगलवार 6 अक्टूबर 2009 को मिजोरम के राज्यपाल लेफ्टिनेंट श्री एम.एम. लखेरा (सेवानिवृत्त) संबोधित करेंगे। प्रशासन अकादमी सभागार में प्रात: दस बजे से प्रारंभ होने वाले इस कार्यक्रम में नार्थ-ईस्ट काउंसिल के सदस्य श्री पी.पी. श्रीवास्तव भी अपने विचार रखेंगें।


स्वर्णिम मध्यप्रदेश के प्रमुख लक्ष्यों को वर्ष 2013 तक प्राप्त किया जायेगा
मंथन की अनुशंसाओं के आधार पर बजट बनेगा, मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा मंथन-2009 का शुभारंभ
Bhopal:Monday, October 5, 2009:Updated 16:05IST

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश के संकल्प के प्रमुख लक्ष्यों को हर हाल में वर्ष 2013 तक पूरा करना है। 'मंथन-2009' से इस संकल्प की पूर्ति के लिये जो व्यावहारिक सुझाव प्राप्त होंगे उन्हीं के आधार पर प्रदेश का अगला बजट बनेगा। उन्होंने कहा कि 'मंथन-2009' का एक उद्देश्य एक 'टीम मध्यप्रदेश' भी बनाना है जो प्रदेश के विकास और लोगों की खुशहाली के दायित्वों की पूर्ति की वाहक होगी। श्री चौहान आज प्रशासन अकादेमी में दो दिवसीय 'मंथन-2009' कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।
कार्यशाला में मंत्रिपरिषद के सदस्यों सहित प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, संभाग आयुक्त, जिला कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अन्य विकास और निर्माण विभागों के अधिकारियों सहित करीब 200 अधिकारी भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह कार्यशाला स्वर्णिम मध्यप्रदेश के संकल्प की पूर्ति के लिये प्रदेश के तेज गति से विकास और आम आदमी तक शासकीय योजनाओं का लाभ बिना देरी के पहुंचाने के उद्देश्य से शासकीय तंत्र में जरूरी बदलाव और व्यवहारिक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिये आयोजित की गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश केवल नारा या सपना नहीं है। यह संकल्प है जिसे हर हाल में सन् 2013 तक पूरा करना है। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की पूर्ति के लिये राज्य शासन ने सात सर्वोच्च प्राथमिकताएं निर्धारित कर उनकी पूर्ति के लिये विषय विशेषज्ञों के विशेष कार्यदल बनाये हैं। इन कार्यदलों के विचार-विमर्श और इस कार्यशाला के बाद प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर ही प्रदेश का वर्ष 2010-11 का बजट बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये निर्धारित सात प्राथमिकताओं पर व्यावहारिक अनुशंसाएं करने पर ही 'मंथन-2009' केन्द्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि मंथन में शामिल मंत्रीगण और अधिकारियों को जमीनी हकीकत का अंदाजा है और वे उसी अनुरूप व्यावहारिक अनुशंसाएं करें, जो अगले एक ही साल में पूरी हो सकें।
श्री चौहान ने कहा कि चिंतन की आवश्यकता हमेशा रहती है। उद्देश्य यह है कि हम बेहतर से बेहतर सोचें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास और आम आदमी की खुशहाली के कामों में अभी जो समस्याएं हैं उनका समाधान हमें ही खोजना है।
श्री चौहान ने कहा कि पिछले साढ़े पांच साल में प्रदेश में अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। सड़क निर्माण में लगभग क्रांति हुई। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीण सड़कों पर ध्यान देना है। श्री चौहान ने कहा कि सन् 2013 तक भरपूर बिजली प्रदाय सुनिश्चित करना सरकार का लक्ष्य है। साथ ही बिजली की बचत के उपाय भी खोजना है। उन्होंने सिंचाई की स्थापित क्षमता का पूरा उपयोग करने के साथ ही प्रदेश में उपलब्ध पानी के उपयोग की नयी संभावनाओं की तलाश पर भी जोर दिया।
श्री चौहान ने मातृ-शिशु मृत्यु दर के वर्तमान प्रतिशत को प्रदेश के लिये अच्छा नहीं बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर में भी सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पाने पर हम भावी पीढ़ियों के लिये अपराध करेंगे।
श्री चौहान ने कहा कि आपराधिक तत्वों की सही जगह जेल है। अपराधियों में सरकार का भय पैदा करना और आम आदमी को भयमुक्त करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रदेश में सभी प्रकार के माफिया के खात्मे को कानून-व्यवस्था के लिये जरूरी बताया।
श्री चौहान ने कहा कि सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। सुशासन के अनेक आयाम हैं। विकास के काम समय पर और गुणवत्तापूर्ण हो, प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो और आम आदमी तक सरकारी योजनाओं का लाभ बिना देरी के पहुंचाना भी सुशासन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती को लाभदायी व्यवसाय बनाने के लिये और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि ऋणों की ब्याज दर में कमी किये बगैर और कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य पर बोनस दिये बगैर हमें कृषि को लाभदायी बनाने के प्रयास करने होंगे।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में विकास और लोगों की खुशहाली के लिये चिंतन प्रक्रिया दो स्तर पर जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि पहला स्तर मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित विभिन्न वर्गों की पंचायतें हैं, जो आगे भी जारी रहेंगी। दूसरा स्तर 'मंथन' जैसे प्रशासनिक विचार-विमर्श है, जो निरंतर रहेंगे।
प्रारंभ में मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी ने 'मंथन-2009' के उद्देश्यों और रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंथन में शामिल अधिकारी ऐसी अनुशंसाएं करें, जो व्यवहारिक हों, और जिनका लक्ष्य समग्र विकास और व्यापक जनहित हो। उन्होंने 'मंथन-2007' पर की गई कार्रवाई की भी जानकारी दी। श्री साहनी ने अपेक्षा की कि सरकार को नयी दिशा और नयी गति देने का यह प्रयास सफल होगा।

मंथन-2009 के औपचारिक शुभारंभ के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान विचार-विमर्श के लिये गठित सभी सात कार्य समूहों क्रमश: अधोसंरचना एवं विकास, निवेश वृद्धि, कृषि को लभदायी व्यवसाय बनाना, शिक्षा और स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, सुशासन एवं संसाधन विकास और सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था के कक्षों में भी गये। श्री चौहान ने प्रत्येक समूह में किये जा रहे विचार-विमर्श को ध्यानपूर्वक सुना। इन सात समूहों में शामिल सभी अधिकारी अपने मैदानी अनुभवों और ज्ञान को एक दूसरे से साझा करते हुए प्रदेश के विकास और आम लोगों की तरक्की में आने वाले अवरोधों को दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श कर अगले एक साल में पूरी की जाने वाली व्यवहारिक अनुशंसाएं देंगे। इन अनुशंसाओं के आधार पर विभिन्न नीति, नियम, प्रक्रिया में व्यावहारिक बदलाव लाने, कठिन नियम-कायदों को सरल बनाने और अन्य ऐसे नये कायदे-कानून बनाये जायेंगे जिनसे प्रदेश का विकास गतिमान हो और लोगों की कठिनाइयां दूर होकर वे खुशहाल बन सकें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रशासन अकादेमी पहुंचने पर अकादेमी महानिदेशक डॉ। संदीप खन्ना ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।
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सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

प्रदेश के विकास और आम आदमी की खुशहाली के लिए दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला मंथन 2009 का आयोजन

स्वर्णिम मध्यप्रदेश निर्माण के मुख्यमंत्री के सात संकल्प होंगे मंथन का मुख्य केन्द्र
Bhopal:Sunday, October 4, 2009:Updated 17:59IST

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पांच अक्टूबर को प्रात: 10 बजे आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी में दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला ''मंथन-2009'' का शुभारंभ करेंगे। प्रदेश के विकास के नए रास्ते तलाशने और आम आदमी की खुशहाली के सपनों को साकार करने के इस अनूठे आयोजन में मंत्रिपरिषद के सदस्य तथा प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, जिला कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यापालन अधिकारी सहित 200 अधिकारीगण भागीदारी करेंगे। मंथन में शामिल प्रतिभागी सात समूहों के अंतर्गत शासन की प्राथमिकताओं, विकास कार्यक्रमों, शासन की कार्यप्रणाली, नियमों, नीतियों और जन आकांक्षाओं के संबंध में समग्र विचार विमर्श करेंगे। मंथन के शुभारंभ के बाद प्रथम दिन निर्धारित समूहों में प्रतिभागियों के बीच समूह चर्चा होगी। मंथन के दूसरे दिन 6 अक्टूबर को सभी सात समूहों द्वारा अपनी-अपनी अनुशंसाओं का प्रस्तुतिकरण किया जायेगा।
स्वर्णिम मध्यप्रदेश निर्माण के मुख्यमंत्री के सात संकल्प होंगे इस बार ''मंथन-2009'' का मुख्य केन्द्र
मंत्रिपरिषद के सदस्यों सहित 200 वरिष्ठ अधिकारी करेंगे ''मंथन-2009'' में भागीदारी
मंथन का यह दूसरा राज्य स्तरीय आयोजन है। इससे पहले विगत 13 और 14 जनवरी 2007 को मंथन कार्यशाला का आयोजन हुआ था। इस आयोजन के निष्कर्ष आज राज्य की प्रगति का मुख्य आधार बन चुके हैं। दो वर्षों के उपरांत अब पुन: इस आयोजन के जरिये समाज के अंतिम पायदान पर खड़े सबसे कमजोर व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और आम लोगों की खुशहाली की दिशा में सकारात्मक पहल की जायेगी। मंथन में मैदानी अधिकारियों के अनुभवों और सुझावों के आधार पर राज्य की तरक्की की नई शुरूआत होगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वर्णिम मध्यप्रदेश निर्माण के जो सात संकल्प लिए हैं वे ''मंथन-2009'' में विचार-विमर्श का मुख्य बिन्दु रहेंगे। इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री के इन्हीं सात संकल्पों पर आधारित सात समूहों का गठन किया गया है। ये हैं – (1) अधोसंरचना एवं विकास (2) निवेश वृद्धि (3) कृषि को फायदे का धंधा बनाना (4) शिक्षा और स्वास्थ्य (5) महिला सशक्तिकरण (6) सुशासन एवं संसाधन विकास (7) सुरक्षा और कानून व्यवस्था। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारीगण मो. सुलेमान, श्री प्रवीण गर्ग, श्री आई.एस. दाणी, श्री मनोज झालानी, श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव, श्री अखिलेश अर्गल और श्री विजय कटारिया क्रमश: इन समूहों के सचिव बनाए गए हैं। सभी समूह ''मंथन'' के दौरान अपने-अपने समूहों के अध्यक्ष का चयन भी करेंगे। इन सात समूह में शामिल सभी अधिकारी अपने मैदानी अनुभवों और ज्ञान को एक दूसरे से साझा करते हुए प्रदेश के विकास तथा आम लोगों की तरक्की में आने वाले अवरोधों को दूर करने के उपाय सुझायेंगे। इनके आधार पर विभिन्न नीति, नियम प्रक्रियाओं में व्यावहारिक बदलाव लाने तथा कठिन नियम-कायदों को सरल बनाकर आम लोगों की पेरशानियों को कम करने की कोशिश की जायेगी।
प्रशासन में निचले स्तर तक सुशासन की दिशा में ''मंथन'' प्रदेश के विकास की प्रक्रिया का एक अहम माध्मम बनने जा रहा है। सुधार एक सतत प्रक्रिया है। ''मंथन'' के जरिए राज्य सरकार के क्रियाकलापों की समीक्षा उन्हें और बेहतर बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। विकास के मुद्दों पर शासन प्रशासन में आपसी विचार-विमर्श का यह महती आयोजन राज्य सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और योजनाओं के सार्थक क्रियान्वयन का बेहतर जरिया बनेगा। मंथन में मैदानी अधिकारियों के सुझाव और अनुशंसाऐं कार्यदलों के लिये नीतियां निर्माण करने में महत्वपूर्ण और उपयोगी सिद्ध होगी। इससे पहले जनवरी 2007 में आयोजित पहली मंथन कार्यशाला में भी सात विभिन्न समूहों का गठन कर राज्य की तरक्की और आम लोगों की खुशहाली की जिन नई संभावनाओं को तलाशा गया था, वे सभी आज सार्थक रूप ले चुकी हैं। पहली मंथन कार्यशाला में की गई अनुशंसाओं और उस दौरान मुख्यमंत्री की घोषणाओं का 60 फीसदी क्रियान्वयन हो चुका है। पहली मंथन कार्यशाला में आम आदमी के हक में राज्य की नीतियों में सकारात्मक बदलाव लाने और सुशासन के उद्देश्य से ''स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस'' स्थापित करने पर विचार किया गया था। सिर्फ दो वर्षों के दरम्यान यह कल्पना ना केवल साकार हुई वरन है ''मंथन-2009'' का सम्पूर्ण आयोजन इस बार इस संस्था के तत्वावधान में होने जा रहा है। इसके साथ ही स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस द्वारा ''गुड पॉलिसिज'' का दस्तावेज तैयार कर अपने उद्देश्यों को सार्थकता दी गई है। इसके साथ ही वेस्ट इनिशियेटिव्ह तथा इनोवेटिव्ह आइडियाज के लिये राज्य सरकार ने तीन पुरस्कार निर्धारित करने की पहल की थी। इस वर्ष उत्कृष्ट कार्यों के इन पुरस्कारों के वितरण की शुरूआत हो चुकी है। राज्य के अधिकांश विभागों द्वारा अपने परिपत्रों का विषयवार संकलन वेबसाईट पर किया जा रहा है तथा यह प्रकिया निरंतर जारी रखी जायगी।

पिछले मंथन में लिये गये निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के सभी निर्माण विभागों द्वारा टेंडर की स्वीकृति की प्रक्रिया और टेंडर दस्तावेजों में बदलाव की कार्यवाई शुरू कर दी गई है। नर्मदा घाटी विकास विभाग, लोक निर्माण तथा जल संसाधन विभाग द्वारा एस।ओ.आर. पुनरीक्षित किये जा रहे हैं। इससे इन विभागों की निविदा प्रक्रियाओं में व्यापक प्रतियोगिता की वजह से कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और समय सीमा में विकास कार्य पूर्ण होंगे। सभी निर्माण विभागों में एल.ओ.सी. की प्रथा भी समाप्त कर दी गई है। प्रदेश में निजी क्षेत्र के द्वारा निवेश वृद्धि के उद्देश्य से राजधानी भोपाल में स्पेशल एज्युकेशन जोन के लिये अचारपुरा में भूमि आरक्षित की गई है और विभिन्न संस्थाओं को भूमि आवंटन भी किया जा चुका है। सेवनियॉ गौड, भोपाल तथा उज्जैन और इंदिरा सागर में टूरिज्म जोन बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शिक्षकों और पटवारियों की भर्ती प्रक्रिया में संशोधन किया गया है। प्रदेश में रोजगार मेलों का आयोजन निरंतर किया जा रहा है। प्रदेश में स्थित शहरी भूमियों के निवर्तन की नई नीति जारी की जा चुकी है। इसके साथ ही नगरीय विकास के लिए संभागायुक्तों एवं जिला कलेक्टरों को भूमि आवंटन के अधिकार प्रत्योजित किये गए हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा निजी क्षेत्रों में नए मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज तथा पैरामेडिकल संस्थान खोलने के लिए भूमि उपलब्ध कराने के साथ-साथ अन्य प्रोत्साहन भी दिये जा रहे हैं। राज्य में शिक्षा की सुलभता के लिये शिक्षकों की नियमित रूप से भर्ती की प्रक्रिया जारी है।


प्रदेश के 85 हजार बच्चों को दी जायेगी स्वास्थ्यवर्धक दवाईयां (बाल सुरक्षा माह)
Bhopal:Sunday, October 4, 2009:Updated 18:04IST

प्रदेश के 85 हजार बच्चों को बाल सुरक्षा माह 5 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच आंगनवाड़ी केन्द्रो के माध्यम से स्वास्थ्यवर्धक दवाईयां दी जायेंगी। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष एवं ऊर्जा मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने यह जानकारी देते हुये बताया कि यह अभियान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जायेगा।
स्वास्थ्य मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने और आयु के हिसाब से उन्हें जरूरी दवाईयां उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रदेश में 5 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक बाल सुरक्षा माह के रूप में मनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि हर आंगनवाड़ी केन्द्र में 9 माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए का घोल पिलाया जायेगा तथा एक वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों को अन्य जरूरी दवाईयां दी जायेंगी। इस माह के दौरान बच्चों का टीकाकरण भी किया जायेगा। साथ ही बच्चों की ग्रोथ मॉनीटरिंग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा की जायेगी। उन्होंने बताया कि आयोडीन नमक के सेवन को प्रोत्साहित करने के लिये नमक में आयोडीन का परीक्षण भी इन केन्द्रों में किया जायेगा। बाल सुरक्षा माह के दौरान टीकाकरण की सूक्ष्म कार्ययोजना बनायी जायेगी और इसके तहत सभी मझरे, टोले एवं पहुँचविहीन गाँवों को चिन्हित कर उन्हें सम्मिलित किया जायेगा।
बाल सुरक्षा माह के दौरान अभिभावकों को जागरूक बनाने तथा प्रति बच्चे तक आयु के हिसाब से जरूरी दवाईयों की उपलब्धता का महत्व बताने के लिये जिला एवं विकासखंड स्तर पर युनीसेफ एवं महिला बाल विकास के समन्वय से कार्यशालाएं आयोजित की जायेंगी। इस अभियान को प्रभावी ढ़ंग से क्रियान्वित करने के लिये स्वास्थ्य तथा महिला बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक समन्वय कर चेक लिस्ट के आधार पर निर्धारित दिवसों पर होने वाली गतिविधियों की मॉनीटरिंग करेंगे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिला महिला बाल विकास अधिकारी भी बाल सुरक्षा अभियान की सतत मॉनीटरिंग करेंगे।

ले. गवर्नर श्री इकबाल सिंह को विधायनी का अंक भेंट, प्रथम बार विधानसभा सचिवालय की भागीदारी
Bhopal:Sunday, October 4, 2009:Updated 18:19IST

पांडिचेरी के राज्यपाल लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री इकबाल सिंह ने आज तामिलनाडु के कोडाइकनाल में 22वें राजभाषा सम्मेलन का समापन किया। राष्ट्रीय हिन्दी अकादमी, रूपाम्बरा के इस सम्मेलन में मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय, जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों सहित रूपाम्बरा के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। पूरे देश से विभिन्न संस्थानों, उपक्रमों के लगभग सवा सौ प्रतिभागियों ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसके पूर्व सम्मेलन का उद्घाटन 2 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल महामहिम ई.एम.एस. नरसिम्हन ने किया था।
म.प्र. विधानसभा की ओर से पहली बार रूपाम्बरा के सम्मेलन में भागीदारी की गई। विधानसभा के सूचना अधिकारी श्री दीपक दुबे ने पांडिचेरी के राज्यपाल ले. श्री इकबाल सिंह को विधानसभा सचिवालय की त्रैमासिक शोध पत्रिका विधायनी का नवीन अंक भेंट किया। इस अवसर पर रूपाम्बरा के राष्ट्रीय मानद अध्यक्ष श्री रत्नाकर पांडेय, अध्यक्ष श्री स्वदेश भारती और निदेशक श्री राजेन्द्र जोशी उपस्थित थे। सम्मेलन के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में भी विधानसभा की त्रैमासिक पत्रिका विधायिनी का प्रदर्शन किया गया जिसकी साहित्यकारों ने प्रशंसा की।
सम्मेलन में मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग से श्री दिनेश मालवीय, ताहिर अली, अशोक मनवानी, चन्दर सोनाने ने भाग लिया। उन्होंने विभिन्न सत्रों में हिन्दी भाषा के संबंध में उद्बोधन दिया।
श्री दीपक दुबे, श्री अशोक मनवानी, श्री ताहिर अली, ने सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग में हिन्दी की भूमिका तथा दिनेश मालवीय ने हिन्दी के प्रयोग और प्रचार-प्रसार में कठिनाईयां विषय पर व्याख्यान दिये। जनसंपर्क विभाग के सभी प्रतिभागियों ने कवि सम्मेलन में भी भाग लिया।


अर्द्ध सैनिक बलों के सैनिकों के आश्रितों को विशेष अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान
Bhopal:Sunday, October 4, 2009:Updated 18:09IST

राज्य शासन ने स्पष्ट किया है कि सैन्य अधिकारियों/सैनिकों के साथ-साथ अर्द्ध सैनिक बलों के सैनिकों के शहीद परिवारों को भी विशेष अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों, विभागाध्यक्षों एवं कलेक्टरों को 11 अक्टूबर, 2001 को जारी परिपत्र के बारे में स्पष्ट किया है कि युद्ध अथवा सैनिक कार्यवाही में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों को वित्तीय एवं अन्य सहायता उपलब्ध कराने संबंधी परिपत्र में अर्द्ध सैनिक बलों का भी उल्लेख है। सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट किया है कि 2001 में जारी परिपत्र के प्रावधान म।प्र. के मूल निवासी सैन्य अधिकारियों/सैनिकों के साथ-साथ अर्द्ध सैनिक बलों के सैनिकों के शहीद परिवारों के परिजनों के लिये भी लागू होंगे।


प्रशासन अकादमी में दो-दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ आज
Bhopal:Sunday, October 4, 2009:Updated 18:07IST

आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल द्वारा 'उत्तर-पूर्वी राज्यों में विकास की चुनौतियां' विषय पर 5 एवं 6 अक्टूबर, 2009 को दो दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। प्रशासन अकादमी सभागार में आयोजित यह संगोष्ठी का शुभारंभ सोमवार 5 अक्टूबर की दोपहर दो बजे होगा।
प्रशासन अकादमी, महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने जानकारी दी है कि संगोष्ठी के प्रथम दिवस 5 अक्टूबर सोमवार को पूर्व में उत्तर-पूर्वी राज्यों से संबद्ध रहे मध्यप्रदेश के अधिकारी श्री एस.सी. त्रिपाठी (आई.पी.एस.), श्री अतुल सिन्हा, पूर्व सचिव भारत सरकार तथा श्री के.के. सेठी, पूर्व मुख्य सचिव मणिपुर राज्य का संबोधन होगा।
दूसरे दिन 6 अक्टूबर मंगलवार को संगोष्ठी प्रात: दस बजे से प्रारंभ होगी। जिसमें मिजोरम के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल एम।एम. लखेरा (सेवानिवृत्त) तथा नार्थ ईस्ट काउंसिल के सदस्य श्री पी.पी. श्रीवास्तव अपने विचार रखेंगे।


चित्रकूट में तुलसी भवन लोकार्पित
Satna:Sunday, October 4, 2009:Updated 20:25IST

चित्रकूट में तुलसी शोध संस्थान के नवनिर्मित तुलसी भवन का आज लोकार्पण हुआ। इस मौके पर प्रदेश की उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस, सांसद श्री अर्जुन सिंह, राजगुरू स्वामी संकर्षण प्रपन्नाचार्य जी महाराज, विधायक चित्रकूट श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार, सचिव म.प्र. संस्कृति विभाग श्री मनोज श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।
चित्रकूट स्थित तुलसी शोध संस्थान के तुलसी भवन का निर्माण सांसद श्री अर्जुन सिंह की सांसद निधि से प्रदत्त राशि 40 लाख एवं मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा प्रदत्त 5 लाख एवं जनसहयोग की राशि से किया गया है। इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा कि संत तुलसीदास जी ने रामकथा के माध्यम से जीवन में त्याग, अनीति के विरूद्ध संघर्ष और गरीबो की सेवा का संदेश दिया है। महात्मा गॉधी जी ने रामराज्य के आदर्श को रामचरित मानस से ग्रहण किया था जो आज भी विश्व के लिये प्रासंगिक है। उन्होने कहा कि रामचरित मानस भारतीय दर्शन, अध्यात्म, नैतिक आदर्श, निगमागम का सार है और इसका अनुशीलन, शोध, संरक्षण और प्रचार आवश्यक है। तुलसी भवन और तुलसी शोध संस्थान के केन्द्र का यही उद्देश्य भी होना चाहियें। राजगुरू संकर्षण प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने इस अवसर पर आशीर्वचन दियें।
उच्च शिक्षा, तकनीकी एवं स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने संबोधित करते हुये कहा कि समाज को पूर्वजो से मिली संस्कृति की विरासत को संभालना बहुत बडी जिम्मेदारी है और इस विरासत को संरक्षित, संवर्धित करते हुये आने वाली पीढी को सौपना जरूरी है। श्रीमती चिटनीस ने आशा व्यक्त की कि तुलसी शोध संस्थान में नित नये शोध होगें और विद्वानो की विद्वता का लाभ सभी आमजन को मिलेगा।
श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति और श्रद्धा के रूप में स्थापित तुलसी शोध संस्थान भक्ति साहित्य के क्षेत्र में अनूठा योगदान देगा। उन्होने कहा कि चित्रकूट अंचल संत तुलसीदास की जन्मस्थली के साथ कर्मस्थली भी रहा है। उन्होने कहा कि ईश्वर के रहस्य की आख्या नही की जा सकती फिर भी तुलसीदास जी ने राम की झांकी दिखाकर ब्रम्ह को सभी की आँखों में उतार दिया। उन्होंने बताया कि तुलसी शोध संस्थान की स्थापना चित्रकूट में 1988 में की गई थी तथा 24 मई 2003 को तुलसी भवन की आधारशिला रखी गई थी। तुलसी शोध संस्थान में 6 हजार भक्तिमार्गी पुस्तके एवं 531 दुर्लभ पाण्डुलिपियो का संग्रह है, जो शोधार्थी एवं साहित्य जगत के लिये उपयोगी साबित होगें।
इस मौके पर संस्कृति सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों को बघेली शब्द कोष की प्रतियां भेंट की।

विद्यार्थियों ने वन विहार में देखे विभिन्न पक्षी प्रशिक्षु पत्रकारों ने पाया वन्यप्राणी प्रबंधन का प्रशिक्षण
Bhopal:Sunday, October 4, 2009:Updated 18:32IST

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वन्यप्राणी सप्ताह के चौथे दिन का शुभारंभ आज प्रातः 6 बजे पक्षी अवलोकन शिविर से किया गया। इस शिविर में 69 छात्र/छात्राओं एवं शिक्षकों ने भाग लिया। पक्षी अवलोकन कराने के लिये श्री जे.एस.चौहान, मुख्य वन संरक्षक, श्री एस.एस.राजपूत, मुख्य वन संरक्षक, एवं संचालक वन विहार, श्री सत्यानंद, वन संरक्षक डॉ. सुरेन्द्र तिवारी, पक्षीविद् तथा भोपाल बर्ड्स के मो. खालिक एवं कु. संगीता राजगीर पक्षी विशेषज्ञ के रूप में मौजूद थे। पक्षी विशेषज्ञों द्वारा छात्र/छात्राओं को पक्षी जगत का वर्गीकरण, उनकी विभिन्न शारीरिक बनावट के आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजन, पक्षियों के भोजन एवं अन्य विशेषताओं के बारे में बताया गया। शिविर में आये छात्र/छात्राओं द्वारा अपने ज्ञान में न सिर्फ वृद्धि की गई अपितु वे प्रकृति एवं पक्षियों की अनूठी दुनिया के प्रति आकर्षित भी हुये। बच्चों ने वन विहार में ग्रे होर्नविल, दूधराज, एसीप्रीनिया, रेड मुनिया, लेसर विसलिंग टील, हैरोन, ईग्रेट तथा किंग फिशर आदि पक्षी देखे।
दूसरी गतिविधि के रूप में प्रातः 11 बजे माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के प्रशिक्षुओं तथा जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान के प्रशिक्षु शिक्षकों के लिये वन्यप्राणी प्रबंधन में कार्यशाला का आयोजन वन विहार में किया गया। इस अवसर पर 35 भावी पत्रकारों ने श्री पुष्पेन्द्र सिंह विभागाध्यक्ष की अगुवाई में एवं 10 प्रशिक्षु शिक्षकों ने इस कार्यशाला का लाभ उठाकर वन्यप्राणी प्रबंधन से संबंधित प्रश्न पूंछकर अपनी शंकाओं का समाधान किया। विशेषज्ञ के रूप में श्री ए.पी. द्विवेदी, भूतपूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एच.एस. पाबला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्य आयोजना, डॉ. सुरेन्द्र तिवारी, श्री सुहास कुमार, श्री एस.एस. राजपूत, श्री असीम श्रीवास्तव एवं श्री धनश्याम सक्सेना ने उपस्थित होकर वन्यप्राणी प्रबंधन के सभी क्षेत्रों पर अपने विचार व्यक्त करते हुये शंकाओं का समाधान किया। इस क्षेत्र में आने वाली कठिनाइयों पर भी विस्तृत विचार विमर्श करते हुये प्रशिक्षुओं द्वारा दिये गये सुझाओं को भी अमल में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
5 अक्टूबर 2009 के कार्यक्रम
प्रातः 6बजे से 8.30 बजे पक्षी अवलोकन शिविर का आयोजन।
प्रातः 7 बजे से 11 बजे तक ईको क्लब के विद्यार्थियों हेतु एक दिन के वन्यप्राणी पालक की शिक्षा।
प्रातः 10 से फोटोग्राफी पर कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का आयोजन।
प्रातः 10 बजे से विद्यालयीन वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन।

कलाकारों ने सहेजी पुरातन कला और संस्कृति
संस्कृति मंत्री श्री शर्मा ने शुभारम्भ किया शरदोत्सव
Satna:Sunday, October 4, 2009:Updated 20:21IST

संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने रामनाथ गोयनका घाट सियाराम कुटीर चित्रकूट में दीप प्रज्वलित कर शरदोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर जिले के प्रभारी और वन राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल, सांसद श्री गणेश सिंह, विधायक श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार, जनसंपर्क आयुक्त श्री मनोज श्रीवास्तव, कलेक्टर श्री सुखवीर सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि, समाजसेवी एवं अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि आज के आधुनिक दौर में भी हमारी प्राचीनकला एवं संस्कृति को हमारे कलाकारों ने सहेज के रखा हैं। यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है। चित्रकूट में इन कलाकारों द्वारा प्रस्तुत हमारी प्राचीन कला एवं संस्कृति की बानगियाँ देखकर इस सच्चाई का बोध होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस मंच के माध्यम से हमारे कलाकार इस कला एवं संस्कृति की धरोहर को जनमानस में स्थापित करेंगे। श्री शर्मा ने आगे कहा कि शीघ्र ही प्रदेश की प्राचीन कलाओं को और भी निखारा जावेगा एवं प्रतिभाओं की गांवों से शहरों तक खोज भी की जावेगी।
शरदोत्सव में पारम्परिक नृत्य एवं गायिकी केन्द्रित समारोह मे गुटुमबाजा नृत्य-मध्यप्रदेश, शंखध्वनि-उडीसा, रणपा नृत्य-उडीसा, मयूर नृत्य, होली नृत्य-उत्तरप्रदेश, घूमर नृत्य, खोडिया नृत्य-हरियाणा के अलावा सुश्री मालिनी अवस्थी ने अवधी गायन की प्रस्तुतियां हुईं।
चित्रकूट महात्माओं की कर्मभूमि एवं तपोभूमि - मनोज श्रीवास्तव
जनसंपर्क आयुक्त श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे देश के महात्माओं की तपोभूमि चित्रकूट आदिकाल से ही पवित्र एवं निर्मल रहा है। उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के केन्द्र बिन्दु पर स्थित यह तपोभूमि एवं कर्मभूमि हमारे देश की कला एवं संस्कृति के लिए प्राचीनकाल से ही प्रेरणा स्त्रोत रही है। अब हम लगातार, जिला प्रशासन, जनता एवं सांस्कृतिक विभाग के सहयोग से इस तपोभूमि में हमारे प्राचीन कला एवं संस्कृति गायन, नृत्य के कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे देश के कोने-कोने की प्राचीन कलाओं से जनमानस को अवगत करा रहे हैं।
शरदोत्सव के समापन अवसर पर कार्यक्रम
शरद पूणिर्मा के अवसर पर चित्रकूट की पवित्र मंदाकिनी के तट पर प्रतिवर्षानुसार शरदोत्सव का आयोजन दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट, जिला प्रशासन सतना और संस्कृति संचालनालय मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में चित्रकूट में किया जा रहा है। शरदोत्सव के समापन अवसर पर 5 अक्टूबर के कार्यक्रम सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय उद्यमिता विद्यापीठ दीनदयाल परिसर चित्रकूट में आयोजित होगें।
शरदोत्सव का समापन 5 अक्टूबर को किसान कल्याण तथा कृषि विकास, मछलीपालन मंत्री डॉ। रामकृष्ण कुसमारिया के मुख्य आतिथ्य में होगा। शरदोत्सव की समापन संध्या 5 अक्टूबर को सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक सुरेश वाडकर का गायन होगा। शरदोत्सव पर आज के कार्यक्रम सायं 7 बजे से प्रारंभ होगें।

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